Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
October 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

*सैन समाज के आराध्य सैन जी महाराज की 724 बीं जयंती धूमधाम से मनाई गई*

सरदारपुर- राजोद नगर में आज रविवार को सैन समाज के लोगों ने संत शिरोमणि सैन जी महाराज की 724 बीं जयंती धूमधाम से मनाई।
इस अवसर पर समाज के लोगों ने सेन मोहल्ले में चारभुजा मंदिर पर सैन समाज के सैकड़ो लोग एकत्रित हुए जहां पूजा अर्चना के पश्चात एक चल समारोह निकाला जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए सेन धर्मशाला पहुंचा जहां पर सेन जी महाराज के चित्र पर पुजन अर्चन कर आरती कर
प्रसाद वितरण की गई। व सहभोज का आयोजन हुआ। इस दौरान डा. ओपी परमार, कैलाश सेन, राजेंद्र सेन, अनिल सेन, योगेश सेन, हरिओम सेन, मन्नालाल सेन, मनोज सेन, श्याम सेन, महेश सेन,सत्यनारायण सेन, अशोक, पंकज,समरथ, बंटी,पिन्टु, विकास,सहित बड़ी संख्या में आसपास श्रेत्र से समाज जन शामिल हुए।
*कौन थे सैन महाराज*?
सैन महाराज का जन्‍म विक्रम संवत 1557 में वैशाख कृष्‍ण द्वादशी को बांधवगढ़ में हुआ था. बचपन में इनका नाम नंदा था. वे जाति से नाई थे. आगे चलकर ये सैन महाराज के नाम से मशहूर हुए. सैन महाराज ने गृहस्‍थ जीवन के साथ-साथ भक्ति के मार्ग पर चलकर समाज को दिखा दिया कि संसार के सारे कामों को करते हुए भी प्रभु की सेवा की जा सकती है.
मध्‍यकाल के संतों में सेन महाराज का नाम अग्रणी है. उन्‍होंने पवित्रता और सात्विकता पर ज़ोर दिया. उन्‍होंने लोगों को सत्‍य, अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया. वे सभी मनुष्‍यों में ईश्‍वर के दर्शन करते थे. लोग उनके उपदेशों से इतने प्रभावित होते थे कि दूर-दूर से उनके पास खींचे चले आते थे. वृद्धावस्‍था में सेन महाराज काशी चले गए और वहीं उपदेश देने लगे. काशी में वे जिस जगह पर रहते थे उसे आज सेनपुरा के नाम से जाना जाता है.
*जब भगवान ने धरा सैन जी का रूप*
सैन महाराज को लेकर एक कथा प्रचलित है. मान्‍यता है क‍ि वे एक राजा के पास काम करते थे. उनका काम राजा की मालिश करना, बाल और नाखून काटना था. उन दिनों भक्‍त मंडल‍ियों का जोर था. ये मंडल‍ियां जगह-जगह जाकर पूरी रात भजन कीर्तन करती रहती थीं. एक दिन संत मंडली सैन जी के घर आई. सैन जी ईश्‍वर भक्ति में इस तरह लीन हो गए कि सुबह राजा के पास जाना ही भूल गए. कहा जाता है कि स्‍वयं ईश्‍वर सैन जी का रूप धारण करके राजा के पास पहुंच गए.

 

सरदारपुर से राहुल राठोड़