आष्टा /किरण रांका
श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ मालीपुरा आष्टा के पावन तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के द्वितीय दिवस पर आज देश के कोने-कोने से हजारों भक्तों ने अपने गुरु की अमृतवाणी का लाभ लिया! आज के सत्संग में परम श्रद्धैय कृष्णा माँ ने अपनी ओजस्वी निर्मल वाणी में कहा की:-
1.पाप करो या पुण्य करो भविष्य में हजारों गुना लौटकर आता है !एक प्रसंग के माध्यम से मां ने बताया कि- एक समय एक संत नदी में नहा रहे थे पानी के तेज बहाव से उनकी लंगोट बह गई उसी समय द्रोपती का वहां से निकलना हुआ उन्होंने इस घटना को देखकर संत की मदद की और अपनी साड़ी का एक पल्लू फाड़ कर संत को दिया जिसे बांधकर संत नदी से बाहर आए! भविष्य में चीर हरण के समय वही साड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा साड़ी के रूप में हजारों गुना लौट कर आया था! शास्र कहते है कि यदि हमने पुण्य किया है तो उसे भविष्य के लिए छोड़ दें ताकि वह हमें हजारों गुना बढ़कर मिले, और यदि पाप किया है तो उसका तुरंत अपने गुरु और भगवान् के समक्ष प्रायश्चित कर लेना चाहिए! यदि ऐसा नहीं किया तो यह पाप भविष्य में हजारों गुना बढ़ जाएगा, जिसका परिणाम भयानक होगा!
2.विपत्ति के समय हमारे द्वारा किये गए पुण्य कर्म ही काम आते हैं, अच्छे कर्म विपत्ति के समय हमारी सहायता करते हैं इसलिए जब भी हमारे जीवन में मुसीबत आए हमें हमारे गुरु और भगवान को याद करना चाहिए! एक उदाहरण से कृष्णा माँ ने कहा की एक पपीहा पेड़ पर बैठा था, नीचे से शिकारी निशाना लगाए बैठा था, ऊपर बाज की नजर भी पपीहे पर थी! ऐसी स्थिति में पपीहा घबराया और उसने अपने भगवान को पुकारा उसी समय पेड़ की कोटर से एक सर्प निकला जिसने शिकारी को काट लिया और शिकारी का निशाना चूक गया और पपीहे की जगह तीर बाज को लग गया! इस तरह पपीहे की जान बच गई!
3 सत्संग में आगे बताया कि:- व्यक्ति हमेशा कहता है कि अभी तो बहुत समय है,जब समय मिलेगा तब सत्संग, भजन, दान पुण्य आदि करूंगा! किंतु व्यक्ति को वृद्धावस्था तक समय नहीं मिलता है! और वह समय कभी नहीं आता! इसलिए जो हमारा जीवन बचा है उसे परमात्मा के नाम में, भगवत प्राप्ति में, समाज सेवा, परमार्थ के कार्यो में व्यतीत करें! समय वापस लौटकर नहीं आता!
कहा भी गया है की:-
जो बीत गई सो बीत गई तकदीर का शिकवा कौन करें!
और जो तीर कमान से निकल गया उसे तीर का पीछा कौन करें!!
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