शेख हसीना के जाने के बाद से अब तक बांग्लादेश के कई शीर्ष अधिकारियों को कार्यालय से बाहर कर दिया गया है, जिनमे बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन , राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख और केंद्रीय बैंक के गवर्नर शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश अपने इस्तीफे की घोषणा करने से पहले परिसर से भाग गए। हिंदुओं को मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में कुछ लोग शेख हसीना समर्थक के रूप में देखते हैं। शेख हसीना के बांग्लादेश की राजनीति से बाहर होने के बाद हिंदुओं के लिए हालात और खराब हो गये हैं। हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के निशाने पर हमेशा से हिंदू रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी पार्टी के कई नेताओं पर हिंदुओं को प्रताड़ित करने के मामले दर्ज हैं। अब यही पार्टी बांग्लादेश की नई सरकार का हिस्सा बनने जा रही है।
बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है। बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी कुल 1.3 करोड़ है । बांग्लादेश में करीब 15 करोड़ मुसलमान हैं और इसके बाद 1.31 करोड़ जनसंख्या हिंदुओं की है। इनके अलावा बांग्लादेश में 10 लाख बौद्ध धर्म को मानने वाले, 4.95 लाख ईसाई तथा 1.98 दूसरे धर्मो के लोग रहते हैं। बांग्लादेशी हिंदू देश की आबादी का लगभग आठ प्रतिशत हिस्सा हैं।1905 के बंटवारे के समय पश्चिम बंगाल की कुल आबादी का 30% आबादी हिंदू थी । 1951 में की गई आधिकारिक जनगणना के अनुसार, यहां कुल आबादी में हिंदू 22 प्रतिशत रह गई थी। बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के समय 18 फीसदी हिंदू निवास करते थे । 1991 में यह आबादी घटकर 15 प्रतिशत तथा साल 2011 की जनगणना में यह संख्या सिर्फ 8.5 प्रतिशत रह गई थी। जो आज माना जा रहा है घटकर 8% से भी काम रह गई है। डिवीजन के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश के तीन डिवीजन ऐसे हैं, जहां हिंदू आबादी 10 फीसदी से अधिक है। दूसरी तरफ जिले के लिहाज से देंखे तो बांग्लादेश के चार जिले ऐसे हैं जहां की आबादी 20 फीसदी से अधिक है. ढ़ाका डिवीजन के गोपालगंज जिले में हिंदुओ की आबादी 26 फीसदी है, वहीं खुलना जिले में 20 फीसदी से अधिक हिंदू रहते हैं। रंगपुर डिवीजन के ठाकुरगांव जिले में 22 फीसदी हिंदू निवास करते हैं। स्यालहाट के मौलवी बाजार जिले में 24 फीसदी हैं.
शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा की काफी घटनाएं सामने आई हैं। 450 से अधिक लोग मारे गए हैं। जिनमें प्रदर्शनों पर रोक के दौरान मारे गए दर्जनों पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। बांग्लादेश में तालिबान की तर्ज पर बड़ी संख्या में नागरिकों को सामाजिक स्थान पर खम्बो से लटका कर फांसी दी गई है। पुलिस विरोध प्रदर्शन करने वालों की दुश्मन बन गई है। पुलिस ने हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि उसके सदस्य तब तक काम पर नहीं लौटेंगे, जब तक उनकी सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया जाता। बांग्लादेश में हो रहे उथल-पुथल के बीच हिंदुओं को जमकर निशाना बनाया जा रहा है। पूरी दुनिया से हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए आवाज उठाई जा रही है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार के मुखिया नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने की अपील की है। राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में डॉ. मुहम्मद यूनुस ने चेतावनी देते हुए कहा कि अराजकता फैलाने वालों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पूरी ताकत का सामना करना पड़ेगा।
बांग्लादेश हिंदुओं के समर्थन में बांग्लादेश में ही नहीं दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन जारी है । भारत ने भी साफ कर दिया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक एवं हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा एवं प्रताड़ना को जल्दी रोका जाए। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस विषय पर बांग्लादेश सरकार को साफ संदेश दे दिया है जिसके फल स्वरुप बांग्लादेश सरकार ने हिंदुओं के प्रति हो रही हिंसा को रोके जाने के उचित उपाय करने का भरोसा दिलाया है। बांग्लादेश में हिंदू आबादी अपने हितों की रक्षा करने हेतु एकजुट होते हुए शहर शहर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय द्वारा बांग्लादेश के विभिन्न शहरों की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करना एक अल्पसंख्यक की सुरक्षा के कवच का काम करेगा एवं कट्टरवादी ताकतों / सरकार को अल्पसंख्यकों की भावना एवं सुरक्षा का सम्मान करना होगा । वैसे भी अगर देखा जाए तो किसी भी देश के अल्पसंख्यक लोग कब तक उसे देश से भाग कर अपना बचाव करेंगे और जहां तक अखंड भारत में हिंदुओं की स्थिति को देखा जाए तो यह एक सही कदम है।
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