





ग्वालियर 03 जनवरी 2025/ लगभग आधी शताब्दी से ग्वालियर व्यापार मेले का एक कोना अहमद परिवार के वाद्य यंत्रों की सुमधुर धमक व खनक से गुंजायमान होता आया है। उत्तरप्रदेश के अमरोहा जिले का निवासी अहमद परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से ग्वालियर मेले में वाद्य यंत्रों की दुकान लगाता आया है। इस साल अहमद परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य जावेद अली ने मेले की छत्री नं.-14 में वाद्य यंत्रों की दुकान सजाई है।
जावेद अली ने इस साल भी अपनी दुकान में ढोलक, तबला जोड़ी, बैंगो, कैंगो, ढपली, डमरू, हारमोनियम, झींका, मंजीरा व पायल इत्यादि वाद्य यंत्र लेकर आए। जावेद अली बताते हैं ग्वालियर – चंबल अंचल समेत समीपवर्ती धौलपुर, आगरा व झाँसी सहित बुंदेलखंड के अन्य जिलों में उनके वाद्य यंत्रों की बड़ी मांग है। यहां के कई संगीत प्रेमी व वाद्य यंत्रों के दुकानदार साल भर तक ग्वालियर मेले का इंतजार करते हैं और हमारी दुकानों से ढोलक, तबला व हारमोनियम इत्यादि वाद्य यंत्र खरीदते हैं। वे बताते हैं कि मेले में फुटकर से ज्यादा थोक में हमारे वाद्य यंत्र बिकते हैं। मेले में हर साल हमारी दुकान से औसतन 15 से 20 लाख रूपए की बिक्री होती है।
अमरोहा से आए जावेद अली ने चर्चा के दौरान बताया कि मुझसे पहले मेरे वालिद जनाब समीम अहमद और उनसे भी पहले मेरे दादा जनाब सईद अहमद ग्वालियर मेले में दुकान लगाते थे। हमारे वाद्य यंत्रों की मांग ग्वालियर क्षेत्र ही नहीं संपूर्ण हिंदुस्तान में है और हम देश के अन्य मेलों में भी अपनी दुकान लगाते हैं।
जावेद अली से जब ग्वालियर मेले की सुविधाओं के बारे में पूछा गया तो वे बोले कि अन्य मेलों की अपेक्षा ग्वालियर मेले में दुकानदारों की सुविधाओं का काफी ध्यान रखा जाता है। वे कहते हैं कि ग्वालियर क्षेत्र में पड़ने वाली ठंड को हम तब भूल जाते हैं जब संगीत की मिठास के व्यापार से हुई आमदनी से हमारे परिवार में खुशियों की रौनक फैलती है।
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