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Dharmendra Singh

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August 7, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

ग्वालियर 15 जनवरी 2025/ देश के सुविख्यात मेलों में शुमार ऐतिहासिक ग्वालियर व्यापार मेला कई मायनों में खास है। लगभग 120 साल पुराने ग्वालियर मेले में कई प्रकार की दुकानें आरंभ से आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी लगती आ रही हैं तो मेले की ख्याति सुनकर भी हर साल नए दुकानदार जुड़ते रहते हैं। इस साल के श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेले में भी ऐसे दुकानदार आए हैं, जिन्होंने पहली बार ग्वालियर मेले में अपनी दुकान लगाई है।
उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले के ऐतिहासिक नगर चुनार से आए दो भाईयों हाकिम सिंह व अभय सिंह ने पूर्वांचल की चिकनी मिट्टी से बनीं आकर्षक गुल्लक व अन्य हस्तशिल्प वस्तुओं और चीनी मिट्टी क्रॉकरी की दुकान लगाई है। इसी तरह उज्जैन से आए आजाद राज चौहान द्वारा लगाई गई “राजस्थानी लाठी-डंडे” की दुकान सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं।
चुनार से आए हाकिम सिंह की दुकान पर कद्दू सहित विभिन्न प्रकार के फल व सब्जियां, सिलेंडर, पक्षी, हाथी व घोड़ा इत्यादि के रूप में बनी गुल्लकें देखते ही बन रही हैं। साथ ही चीनी मिट्टी से बने तुलसी के घरुए, गमले व अन्य क्रॉकरी भी खास अंदाज में उपलब्ध है। मेला घूमने आ रहे सैलानी उनकी दुकान से खासतौर पर गुल्लकों की खरीददारी कर रहे हैं। झूला सेक्टर से ऑटो मोबाइल सेक्टर की ओर जाने वाले मार्ग पर उनकी दुकान लगी है। हाकिम बताते हैं कि पहली साल हमारी दुकान से अच्छी बिक्री हो रही है।
कम्प्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएट (बीसीए) उज्जैन से आए आजाद राज चौहान पहले साल ही मेले में मिले अच्छे प्रतिसाद से गदगद हैं। उनका कहना है कि दुकान पर हम जितने भी राजस्थानी लाठी-डंडे लेकर आए थे, वे बिक चुके हैं। मुझे दोबारा यह सब सामान बुलाना पड़ा है। उन्होंने इस दुकान के साथ एक छोटी सी टी स्टॉल भी लगाई है, जो खूब चलती है। आजाद राज बताते हैं कि उनके रिश्तेदारों की राजस्थान के सुप्रसिद्ध पुष्कर नगर में “बाबा रामपुरी लाठी वाले” के नाम से दुकान है। इसी दुकान से प्रेरणा लेकर मैंने भी यह व्यवसाय शुरू किया है।
जब हाकिम व आजाद राज से ग्वालियर मेले तक के सफल के बारे में सवाल किया गया तो वे बोले कि हम ग्वालियर मेले की ख्याति सुनकर यहां आए हैं और इसका हमें अच्छा प्रतिफल मिला है। हाकिम व आजाद अपने परिवार के साथ टेंट लगाकर मेले में ही रहते हैं। उनका यह भी कहना है कि आमदनी के साथ-साथ ग्वालियर मेले की समृद्ध संस्कृति व परंपराओं का आनंद भी हमें मिल रहा है।