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Dharmendra Singh

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August 6, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

कटनी के श्री नारायण संस्कृत महाविद्यालय के संदर्भ में जो प्रचारित किया जा रहा है वह सर्वथा मिथ्या एवं साजिश का अंग है

कटनी के श्री नारायण संस्कृत महाविद्यालय के संदर्भ में जो प्रचारित किया जा रहा है वह सर्वथा मिथ्या एवं साजिश का अंग है

 

कटनी के श्री नारायण संस्कृत महाविद्यालय के संदर्भ में जो प्रचारित किया जा रहा है वह सर्वथा मिथ्या एवं साजिश का अंग है यह कहना है इस क्षेत्र के व्यापारियों का जो स्वयं उक्त महाविद्यालय के किराएदार भी है श्री नारायण संस्कृत महाविद्यालय व्यापारी संघ के सदस्यों ने बताया कि उक्त महाविद्यालय को संचालित करने वाली समिति जो की प्राइवेट समिति है जिसके द्वारा विद्यालय एवं महाविद्यालय संचालित है इस परिसर के चारों तरफ आधे सैकड़ा से अधिक दुकानें हैं जिससे समिति द्वारा किराया लिया जाता है, विगत दो वर्षों से समिति के अड़ियल रवैया के कारण किराएदारों पर समिति के लोग अनाधिकृत किराया बढ़ाने का दबाव बनाए हुए हैं, यहाँ तक की गुंडागर्दी भी की जाती है जिसकी कुछ किरायेदारों ने थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करायी है, भीतर खाने से खबर आ रही है कि इस पूरी करोड़ों की संपत्ति को खुर्द बुद्ध करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है जैसा की समिति के लोग बता रहे हैं कि विद्यालय एवं महाविद्यालय दोनों चल रहे हैं परंतु छात्रों की बताई जा रही संख्या मिथ्या है वास्तविक में उससे काफी कम छात्र अध्ययन कर रहे हैं। संस्कृत महाविद्यालय परिसर के चारों तरफ व्यवसाय कर रहे दुकानदार छोटा-छोटा व्यवसाय कर रहे हैं जिन पर समिति के लोग वर्तमान किराये से सौ गुना अधिक किराए की मांग कर रहे हैं जो विधि अनुसार उचित नहीं है इसके अलावा प्रत्येक किराएदार से हर माह 50 किलो गल्ला देने की मांग भी की जा रही है, इसके अलावा समिति द्वारा यदि कोई किरायेदार की मृत्यु हो जाती है तो उनके वारिसों का नाम दर्ज करने कई हजार रूपये मांगे जाते हैं जिसकी रसीद भी नहीं दी जाती साथ ही यदि कोई किरायेदारी हस्तांतरण की जाती है तो उसके एवज में लाखों रूपये लिए जाते हैं जिसकी रसीद भी नहीं दी जाती, किरायेदारों ने लिखित रूप से अनेकों बार समिति से किराया लेने का अनुरोध किया परंतु समिति के लोग किराया लेने में टाला मटोली कर रहे हैं किरायेदारों ने यह भी आरोप लगाया है की सभी किरायेदार पुराने नहीं हैं बहुत से नए किरायेदार हैं जिन्होंने किरायेदारी का अग्रीमेंट भी किया हुआ है जिसमे किराया बढ़ने की शर्त भी जुडी है परन्तु उनसे भी किराया नहीं लिया जा रहा है अभी कुछ दिन पूर्व इन्होने 70 छात्र बताये थे अब एकाएक 25-30 हो गए यह सब समिति की साजिश है जो किसी तरह किरायेदारों को तंग किया जा रहा है किरायेदारों ने कहा है की समिति आज किराया ले परन्तु समिति नहीं ले रही आखिर क्यों, पत्र की प्रति कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारी को भी भेजी गयी हैं, समय पर किराया न लेने के कारण छोटे-छोटे गरीब दुकानदारों के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है किराएदारों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में हस्तक्षेप कर उनकी समस्याओं के निराकरण करने का कष्ट करें ताकि छोटे और गरीब दुकानदार अपना जीवकोपार्जन कर सके