जय श्री कृष्णा
सादर प्रकाशनार्थ
गुना
22 जून 2025
श्रीमद्भगवद्गीता के आत्म संयम योग नामक अध्याय के बाद ज्ञान-विज्ञान योग नाम के सातवें अध्याय का क्रम हमें यह बताता है कि एक संयमी व्यक्ति ही योगी है और उसै ही यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति होती है। कई हजारों मनुष्यों में से कोई यत्नशील ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयास करता है और उन अनेक प्रयत्न करने वालों में से भी कोई एक यथार्थ ज्ञान प्राप्त कर पाता है। परिवार में गीतास्वाध्याय सत्संग का वातावरण न केवल परिजनों,आस-पडोस अपितु गर्भस्थ जीव को भी सुसंस्कार प्रदान करता है। इसी प्रकार के अनेक विचार गीता स्वाध्याय सत्संग के यजमान एवं वक्ता श्री हरिदत्त शर्मा ने श्रीमद्भगवत गीता के सप्तम अध्याय के आरंभिक श्लोकों के सन्दर्भ मे प्रकट किए। वे रविवार को जिलाशिक्षा केन्द्र के परिसर में स्थित शिव मंदिर में आयोजित गीता स्वाध्याय में बोल रहे थे । जीवन मुक्ताचार्य डॉ रमेश कुमार पांडेय के द्वारा रचित प्रेरणागीत एवं चंद्रप्रकाश भट्ट और महेंद्र सोनी के गीता भजन,
प्रेरणादाई प्रेरक प्रसंग,सुभाषित और अमृत वचनों की सरिता में सभी धर्म प्रेमी जनों ने गोते लगाए ।
अमृतवचन प्रकट करते हुए राम सिंह रघुवंशी ने कहा कि कर्म फल उसी प्रकार अपने कर्ता को खोज लेता है जैसे भीड में संतान अपनी माता को अत: कर्म करने में सावधान रहना चाहिए। आगामी रविवारिय गीता स्वाध्याय दिनांक 29 जून को गायत्री मंदिर पर सायं 4:30 बजे से आयोजित किया जाएगा इस हेतु गायत्री परिवार के सदस्यों द्वारा गीता जी की अगवानी की गई। इसके अतिरिक्त बुधवार को सायं ५:३० से श्री महेंद्र प्रताप सिंह राजावत के गोविंद गार्डन कैण्ट स्थित निवास पर तथा शनिवार को सायंकाल ६:३० से वलवंतनगर के अटल पार्क में भी गीता स्वाध्याय का आयोजन किया जाएगा ।विश्वगीता प्रतिष्ठानम् की नगर इकाई ने सभी धर्म प्रेमी जनों से गीता स्वाध्याय सत्संग में सम्मिलित होने का अनुरोध किया है।
प्रेषक
मनोज शर्मा
प्रचार-प्रमुख
9039871197
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