आष्टा/किरण रांका
आर्य समाज एवम वेद प्रचार मण्डल के तत्त्वावधान में नगर में संगीतमय वैदिक सत्संग चल रहा है। आज आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज द्वारा स्थापित प्रभु प्रेमी संघ ने
सत्संग में प्रखर वैदिक प्रवचन कार सुश्री अंजलि आर्य को विश्व विख्यात जैनाचार्य विद्यासागर महाराज द्वारा रचित महाकाव्य मूक माटी की प्रति और कलम भेंट कर उनका सम्मान किया । इस अवसर पर विदुषी प्रवचनकार ने कहा कि धर्म ग्रन्थों और सदसाहित्य का अध्ययन से हमारे जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन के साथ ही अनेक शंकाओं का समाधान होता है । धर्मग्रन्थों और अच्छी पुस्तकें को पढ़ने से आत्म सुधार होकर जिज्ञासाएं भी बढ़ती हैं।
वैदिक सत्संग मे विदुषी प्रवचनकार अंजलि आर्य सनातन संस्कृति में एकता और धर्म के वैज्ञानिक स्वरूप को उद्घाटित कर रही हैं। सत्संग में यज्ञ और प्रवचन से हजारों श्रद्धालु लाभान्वित हुए है ।
प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक तथा पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने संघ के संरक्षक ओम प्रकाश सोनी जियाजी , महासचिव प्रदीप जैन प्रगति, वैदिक सत्संग के समन्वयक मनोज सोनी काका , वरिष्ठ समाज सेवी हेमंत सोनी , कोक सिंह पटवारी , संजय जैन शिक्षक आदि के साथ
पूज्य अंजलि आर्य जी को शोध प्रबंध के लिए हजारों शोधार्थियों का प्रिय विषय रहे आचार्य विद्यासागर महाराज द्वारा लिखित महाकाव्य ‘मूकमाटी’ भेंट करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में करुणा, अहिंसा और विभिन्न पंथों में परस्पर एकता हमारे धर्मग्रन्थों से ही प्रकट हो जाती है । स्वाध्यायियो को ग्रन्थ भेंट करने और विद्यार्थियों को वैदिक साहित्य उपलब्ध कराने की आर्य समाज मे अनुकरणीय परम्परा है । विदुषी प्रवचनकार अंजलि आर्य ने हमे स्वाध्याय और यज्ञ के लिए प्रेरित किया है। उनके प्रवचनों से हमे धर्म के मूल स्वरूप को समझने में आसानी हुई है। हम सभी को एक साधक की तरह अपने अपने धर्म मार्ग पर चलते हुए सनातन समाज मे परस्पर एकता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये।
पूज्य अंजलि आर्य ने प्रभु प्रेमी संघ के सदस्यों को आशीर्वाद दिया।
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