सीएम हेल्पलाइन 181 से बढ़ रहा है पुलिस का तनाव
पोरसा जिला मुरैना मध्य प्रदेश में सभी सुखी हो निरोगी हो सबका कल्याण हो यही शासन की व्यवस्था का ध्येय है इसी की पूर्ति के लिए प्रदेश में वर्ष 2014 से सीएम हेल्पलाइन 181 प्रारंभ की गई थी तो देश की शासन व्यवस्था को अधिक चुस्त-दुरुस्त और जनहित में सक्रिय करने के लिए शुरू की गई यह हेल्पलाइन किसी विभाग में कारगर बनी तो किसी विभाग में सर दर्द बन गई है जिस विभाग के लिए सीएम हेल्पलाइन 181 सिरदर्द बन गई है वह विभाग है पुलिस विभाग क्योंकि हेल्पलाइन में दर्ज होने वाली शिकायतों का निराकरण करने में पुलिस को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है शिकायतकर्ता की समस्या का निदान करने के बाद भी शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं होता है और असंतुष्ट होकर फिर से शिकायत कर देता है वैसे इसमें ज्यादातर शिकायतें ऐसी भी होती है जिसमें पुलिस का कोई लेना देना नहीं होता है इसी कारण पुलिस विभाग में हजारों शिकायतें लंबित पड़ी हैं और चाह कर भी पुलिस विभाग शिकायतों का समाधान नहीं कर पा रहा है और इसी कारण पुलिस को काम करने में भी परेशानियां हो रही है
न्यायालय संबंधित मामलों की शिकायतों भी हेल्प लाइन पर पुलिस को उन शिकायतों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो शिकायतें न्यायालय संबधित होती है क्योंकि जाहिर सी बात है कि न्यायालय में न तो पुलिस विभाग बडा होता है और ना ही कोई अन्य विभाग एक बार किसी मामले में चालान पेश हो जाता है तो पुलिस का काम खत्म हो जाता है फिर न्यायालय किसी को जमानत दे या दंडित करे वह न्यायलीन प्रक्रिया है लेकिन उसके बावजूद भी शिकायतकर्ता सीएम हेल्पलाइन 181 में शिकायत दर्ज करा देता है और 181 के एकजीक्यूटिव बिना सोचे समझे इन शिकायतों को भी स्वीकार कर लेते हैं और आरोपियों पर दर्ज ऐसे कई मामले होते हैं जिन्हें न्यायालय में चालान पेश कर दिए जाते हैं मामूली सी धारा लगने के कारण न्यायालय आरोपियों को जमानत पर छोड़ देता है या फिर किसी मामलों में तो आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश भी नहीं होते हैं लेकिन फरियादी फिर भी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज करा देता है कि आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई या आरोपी की जमानत हो गई ऐसी शिकायतें पर पुलिस शिकायतकर्ता को मामला न्यायालय में होने की जानकारी भी देती है लेकिन शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है और मामले का निराकरण नहीं होता है
शिकायत के स्तर
पुलिस विभाग में शिकायत दो स्तर पर की जाती है सबसे पहले जिस थाना क्षेत्र का पीड़ित है उस थाने के टीआई के पास शिकायत जाती है जब पीड़ित टीआई से संतुष्ट नहीं होता है तो मामले की शिकायत एसपी के पास जाती है एसपी फिर पीड़ित से मुलाकात करते हैं और मामले का निराकरण करते हैं
पुलिस को झेलना पड़ रहा है तनाव
सीएम हेल्पलाइन में पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मियों का काम बढ़ जाता है पुलिस पर सी एम हेल्प लाइन का इतना प्रेशर रहता है कि उन्हें हत्या और चोरी जैसी वारदातों की जांच छोड़ सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली अजीब शिकायतों को प्राथमिकता देनी पड़ती है वही हेल्पलाइन से बात करने वाले एक एग्जीक्यूटिव शिकायतकर्ता की बात समझ नहीं पाते हैं और अन्य विभागों में भेजी जाने वाली शिकायतों को भी पुलिस विभाग के फॉरवर्ड कर देते हैं इसका तनाव पुलिस को ही झेलना पड़ता है
सभी शिकायतें अब 181 पर
पहले जो शिकायतें फरियादी सीधे थाने पर लेकर आते थे वह शिकायतें भी सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज हो रही है उदाहरण के तौर पर पहले मकान मालिक किराएदार और उदार रुपए लेनदेन वाले मामले सीधे थानों पर आते थे लेकिन अब दोनों पक्ष हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करा देते हैं एक पक्ष तो उसे बुलाकर उसकी समस्या का निराकरण कर दिया जाता है लेकिन जब शिकायत दो पंछी हो जाती है तो पुलिस मुश्किल में फंस जाती है
ज्ञान के अभाव से भी हो रही है परेशानी
सीएम हेल्पलाइन 181 पर कौन सी शिकायत दर्ज होनी चाहिए कौन सी नहीं इसकी कोई सीमा तय नहीं की गई है सीएम हेल्पलाइन में बैठने वाले कंपनी के एग्जीक्यूटिव हर प्रकार की शिकायत को स्वीकार कर लेते हैं यहां तक तो किसी किसी शिकायत में तो खुद एग्जीक्यूटिव को ज्ञान की कमी रहती है कि संबंधित शिकायत है कौन सी विभाग की वह यह भी नहीं देखते कि शिकायत संबंधित विभाग को भेजने जैसी है या नहीं 181 में शिकायतकर्ता शिकायत करता है और उसे बिना सोचे समझे पुलिस विभाग को फॉरवर्ड कर दी जाती है और पुलिस विभाग को ऐसी शिकायतों से कोई लेना-देना भी नहीं होता फिर भी सीएम हेल्पलाइन का शिकायत करने के लिए यह शिकायत करता समस्या का निराकरण करने और उसे संतुष्ट करने के लिए लगा रहता है
मुरैना से ब्यूरो चीफ कौशलेंद्र तोमर
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