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Dharmendra Singh

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August 10, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

विशाल भौरसे रिपोर्टर




किसी ध्वंस “प्रासाद” के पुनर्निर्माण में कंगूरे की ईंट रखकर उसकी पुनर्प्रतिष्ठा करने वाले को ही कर्ता मान लेने का भ्रम पाल लेना उनके प्रति अन्याय है जिनके त्याग बलिदान और साधना से “प्रासाद” का पुनर्निर्माण आधारस्तम्भ से शिखर तक सम्भव हो पाया, संकल्प की सिद्धि हो पायी।

राष्ट्रीय पुनर्प्रतिष्ठा के श्रीगणेश की दूसरी वर्षगाँठ पर 76 युद्धों में आत्माहुति करने वाले अपने लाखों पुरखों को भावभीनीं श्रद्धान्जलि अर्पित करता हूं।

7 अक्टूबर 1984 को आरम्भ 77वां
युद्ध जो सहस्त्राब्दी का विश्व का सबसे बड़ा अहिंसक जनान्दोलन बना, के कल्पक योजक शिल्पियों और सहभागी रामभक्तों को प्रणाम तथा आन्दोलन के मार्गदर्शक पूज्य सन्त महात्माओं को सादर नमन करता हूँ जिनके साधना का सुफल हिन्दू समाज को आज प्राप्त हुआ है।

जन्मभूमि आन्दोलन में असंख्य रामभक्तों
ने समय, श्रम,धन और प्राण तक की आहुति दी,
श्रीराम जानकी रथों का विचरण,लाखों गांवों मे
श्रीरामशिलापूजन,9 नवम्बर 1989 को शिलान्यास
4 अप्रैल 1991 को दिल्ली के वोट क्लब पर उमड़ा
जनज्वार,पादुका पूजन और गीता जयंती के पावन पर्व पर 6 दिसम्बर को पराधीनता के प्रतीक ढांचे को हिन्दू समाज के सामूहिक शक्ति द्वारा इतिहास के कूड़ेदान में फेंक देना हिन्दू समाज के इस गौरवपूर्ण शौर्ययात्रा के उल्लेखनीय पड़ाव हैं।

हमने संकल्प लिया था रामलला का मन्दिर रामभक्तों के भावना और श्रद्धा का प्रतीक होगा केवल
भव्य इमारत नहीं इसे हमें प्रत्येक क्षण स्मरण रखना होगा।

रामजी के मन्दिर निर्माण की बाधा दूर करने
का श्रेय तो किसी को दिया जा सकता है लेकिन
इसके निर्माण का श्रेय है, त्याग समर्पण, बलिदान
और अखण्ड श्रद्धा से युक्त,जाति मत भाषा प्रान्त विचारधारा के आग्रहों से मुक्त विराट हिन्दू समाज
को जो केवल रामजी के प्रति समर्पित था न कि
किसी राजनीतिक विचारधारा के प्रति,उसका एजेंडा केवल राम मंदिर था। वह अपने को ठगा न महसूस करे इसकी भी चिंता हमें सतत करनी होगी।

आज के पावन दिवस पर अपने प्राणों की आहूति करने वाले असंख्य रामभक्तों को नमन संघर्ष के
प्राणवायु पूज्य संतो को नमन पूज्य महंथ अवैद्यनाथ, पूज्य रामानंदाचार्य शिवरामाचार्य,पूज्य शंकराचार्य विष्णुदेवानंद जी, वीतराग स्वामी बामदेव जी महाराज, परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज, हिन्दू हृदय सम्राट पूज्य अशोक जी, श्री दाऊदयाल खन्ना जी, माननीय मोरोपंत पिंगले जी आचार्य गिरिराज किशोर जी, माननीय ओंकार भावे जी और पूज्य ठाकुर गुरुजन सिंह सिंह और इनके जैसे सभी आन्दोलन के आधारस्तम्भो को सादर नमन करता हूं और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।