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Dharmendra Singh

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सच दिखाने की हिम्मत

//खास खबर//

जबलपुर में पाटबाबा के समीप मिले डायनासोर के अंडे व हड्डी के जीवाश्म

डाॅ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय और विज्ञान महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने संयुक्त हो किया जबलपुर का भूवैज्ञानिक फील्ड वर्क,इन्द्रधनुषी भूवैज्ञानिक म्यूजियम की दी संज्ञा

भूविज्ञान फील्ड का विषय,इसमें फील्ड वर्क के बिना वास्तविक ज्ञान संभव ही नहीं बोले छात्र

मदन साहू, जबलपुर(मध्यप्रदेश )।19/03/2021।डाॅक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के व्यवहारिक भूगर्भशास्त्र विभाग द्वारा एम टेक चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों के 12 दिवसीय भूवैज्ञानिक फील्ड वर्क टूर टूरइन्चार्ज डाॅ के के प्रजापति व श्री राजीव खालको के मार्गदर्शन में सातवें दिन जबलपुर क्षेत्र में 17 व 18 मार्च 2021 को दो दिवसीय फील्ड वर्क करने पहुंचा।जहां जबलपुर क्षेत्र में फील्ड वर्क के पहले दिन पाटबाबा के समीप स्थित छोटा शिमला व बड़ा शिमला और डुमना एयरपोर्ट के समीप स्थित डेक्कन ट्रेप बेसाल्ट का फील्ड वर्क किया।इस दौरान विद्यार्थियों ने बड़ा शिमला का संस्तर क्रम सबसे नीचे निचला गोड़वाना समूह,मध्‍य में लमेटा समूह व सबसे ऊपर डेक्कन ट्रेप के बेसाल्ट के जमा होने का भूवैज्ञानिक इतिहास समझा व पाट बाबा में डायनासोर के दो अंडों व हड्डी के जीवाश्म को भी खोजा।तत्पश्चात डुमना एयरपोर्ट के समीप स्थित डेक्कन ट्रेप में फील्ड वर्क कर,बेसाल्ट में क्वार्ट्ज के आकर्षक जिऑड की अत्यधिक उपस्थिति होने को भी पहचाना।जबलपुर क्षेत्र में फील्डवर्क के दूसरे दिन विद्यार्थियों ने मदन महल के समीप मदन महल ग्रेनाइट के ग्रे और पिंक ग्रेनाइट का अध्ययन किया।साथ ही बैलेंसिंग राॅक के सेन्टर ऑफ ग्रविटी के सिद्धांत पर थमें होने को और ग्रेनाइट में स्फीराॅइडल अपक्षय को भी समझा।तत्पश्चात तिरवारा घाट पहुंचकर फिलाइट शैल और क्वार्ट्ज रीफ के क्वार्ट्जाइट में कायांतरण से कायांतरित शैलों में तापमान बढ़ने पर ग्रेड में परिवर्तन को समझा।इस दौरान फील्ड वर्क के लिए घुघवा जलप्रपात भी पहुंचे। वहीं लमेटाघाट में स्थित आकर्षक चेवराॅन वलन और अन्य वलनों का अध्ययन करने के साथ ही वहां पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित 1 मीटर से भी अधिक मोटी क्वार्ट्ज रीफ को देखा।अंत में टूर भेड़ाघाट स्थित धुआंधार जलप्रपात देखने पहुंचे।जहां रुद्रकुण्ड डाइक,अमेगडेल्वाइडल बेसाल्ट,जिऑड,जिओलाइट और डोलोमिटिक संगमर में टाल्क के घुलने से बनी गुहिकाओं,क्वार्ट्ज रीफ व एलिफेंट स्किन अपक्षरण को भी देखा।
इस फील्ड वर्क में शामिल विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि संगम सामल को डायनासोर के अंडे का जीवाश्म और ग्रीन सेन्ड को देखना एक बड़ा अनुभव रहा साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र को भूवैज्ञानिक फिल्ड वर्क के लिए भी विद्यार्थियों के लिए सर्वोत्तम बताया।पूर्वा पाण्डेय ने फील्ड वर्क को पुस्तकीय ज्ञान और व्व्यवहार ज्ञान को जोड़ने का सर्वोत्तम उपाय,आकांक्षा कुशवाहा ने बड़ा शिमला में संस्तर क्रम बहुत स्पष्ट और फील्ड नाॅलेज प्राप्त होना,सौम्या सोनी ने पाटबाबा के समीप स्थित भूवैज्ञानिक विरासत को आमजन तक पहुंचने की आवश्यकता,महिमा अवस्थी ने घुघवा में आश्चर्यजनक सिलिकायुक्त पाम वुड देखने और पढ़े हुए ज्ञान को प्रायोगिक तौर पर देखने व समझने,शुभांशु तिवारी ने पाटबाबा क्षेत्र की सुस्पष्ट भूवैज्ञानिक विरासत को सहजने,श्रव्या मेहता ने बड़े शिमला में हड्डी का जीवाश्म मिलने व क्षेत्र का गहन अध्ययन कर भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने के लिए नए भूवैज्ञानिक तथ्यों की संभावना और राजा अहिरवार ने जबलपुर क्षेत्र की भूवैज्ञानिक विविधता को अनुभव कर इन्द्रधनुषी भूवैज्ञानिक म्यूजियम की संज्ञा दी।वहीं शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर से शामिल विद्यार्थियों ने डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के व्यवहारिक भूगर्भशास्त्र विभाग व शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर के भूगर्भशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ संजय तिगनाथ को इस फील्ड वर्क में शामिल होने का सुअवसर प्रदान करने के लिए विद्यार्थयों ने धन्यवाद व आभार जताते हुए प्रियांश द्विवेदी ने इसे भूवैज्ञानिक तथ्यों को समझने का सुअवसर,साक्षी मगरदे ने ज्ञानवर्धक व जबलपुर की भूवैज्ञानिक विरासत जानने में मददगार,मदन साहू ने जबलपुर क्षेत्र के भूवैज्ञानिक तथ्यों को समझने का स्वर्णिम अवसर,मौलिक पाण्डेय ने भूवैज्ञानिक अध्ययन के तरीकों से अवगत कराने वाला,प्रचिति भट्ट ने विद्यार्थियों के लिए नवाचार व गौतमी हरोडे ने पढ़े हुए ज्ञान को वास्तविकता से जोड़ने वाला,श्रेया ने भूविज्ञान से जुड़ी आश्चर्यजनक जानकारी प्राप्त होना,संजय कुमार पटेल ने अमूल्य ज्ञान प्राप्त होना बताकर सराहना की।
इस भूवैज्ञानिक फील्ड वर्क के दौरान डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के व्यवहारिक भूगर्भशास्त्र विभाग के एमटेक चतुर्थ सेमेस्टर के अभिषेक दास,आदर्श कुमार, आकांक्षा कुशवाहा,आकाश कुमार सिंह,अक्ष्यता साहू,अंकिता दूबे,अनुराग त्रिवेदी,दिव्या नंद दुबे,कुमारी चंदनी चंदा,महिमा अवस्थी,मोनिका बोमार्डे,प्रशांत यूके,प्रीतम बिस्वाल,प्रियांशु कुमार,पूर्णिमा गोरखेडे,पूर्वा पाण्डेय,राहुल करमाली,राजा अहिरवार,रामराज पटेल,रविकांत सिन्हा,सदफ मंसूरी,संगम समल,सौम्या सोनी,शिप्रा सुरभि,श्रव्या मेहता,शुभांशु मिश्रा,शुभांशु तिवारी,टीकेश्वर महान्ता,अमन सोनी,राधा अवस्थी और शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर के भूगर्भशास्त्र विभाग के एम एस सी फाइनल ईयर के विद्यार्थी दीक्षा सिंह,नितिन शर्मा,प्रियांश द्विवेदी, पलक शर्मा,श्री जोशी,भानु पाण्डेय,हरिशचंद्र लोधी,दीक्षा कुशवाहा,आयुषी कोचर,साक्षी मगरदे,विन्धवा देवी व एमएससी प्रीवियस ईयर के मौलिक पाण्डेय,मदन साहू,प्रचिति भट्ट,आयुष सिंह राठोर,श्रेया तिवारी,गौतमी हरोडे,संजय कुमार पटेल,आयुषी पटेल,स्वेता,स्मिता कठेरिया,रागनी अहिरवार,अभिलाषा अहिरवार और प्रज्ञा दुबे जबलपुर क्षेत्र के दो दिवसीय भूवैज्ञानिक फील्ड वर्क में शामिल रहे।