Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

August 2025
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031
August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

कश्मीर में गुर्जर समुदाय के अस टी आरक्षण की सूची में छेड़छाड़ की चर्चाओं पर सरकार स्पष्टीकरण दें : अंतरराष्ट्रीय गुर्जर महासभा


जयपुर , इंटरनेशनल गुर्जर महासभा (आई जी एम) के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं से चर्चा करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल देव आनंद गुर्जर ने कश्मीर में गुर्जर एस टी आरक्षण सूची मैं दूसरी जाति जोड़े जाने की चर्चा के मध्य नजर अपनी बात रखते हुए उम्मीद जताई कि भारत सरकार ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाने वाली जिससे तीस लाख शेड्यूल्ड ट्राइब (गुर्जर, गद्दी ,सेन एवं सीपी ) के अधिकारौ को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचे . जम्मू कश्मीर में शेड्यूल ट्राइब सूची में करीब 95% गुर्जर समुदाय एवं 5% शेष जातियां आती हैं . कश्मीर में शेड्यूल्ड ट्राइब आरक्षण 1991 में भारतीय संसद द्वारा दिया गया था , लेकिन 370 धारा के चलते हुए कभी भी इसका पूरा लाभ गुर्जर बकरवाल समुदाय को पूर्ण रूप से नहीं दिया गया एवं राजनीतिक आरक्षण से वंचित रखा गया. 31 अक्टूबर 2019 को मोदी जी द्वारा इनको पूर्ण शेड्यूल ट्राइब अधिकार, शेड्यूल कास्ट एवं शेड्यूल्ड ट्राइब एक्ट एवं वन अधिनियम 2006 देकर न्याय किया गया.
चर्चाओं के बीच में जिस प्रकार इन ट्राईबल लोगों के मन में चिंता उत्पन्न होने से जम्मू कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर गुर्जर समुदाय द्वारा जन सभाओं के माध्यम से ट्राइबल लोगों के अधिकारों से छेड़छाड़ की संभावना के मद्देनजर सरकार से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करने का आग्रह करते हुए आक्रोश भी देखा जा सकता है. कश्मीर एवं देश भर के गुर्जर समुदाय एवं संगठनों ने अपने अपने स्तर पर सरकार को एसटी सूची में किसी भी प्रकार के बदलाव नहीं करने का आग्रह किया है. अफवाह एवं चर्चाओं के फलस्वरूप कश्मीर के बॉर्डर इलाकों में रहने वाले पहाड़ी एवं गुर्जर समुदाय के बीच वर्षों से चले आ रहे सौहार्द एवं प्रेम मैं तनाव महसूस किया जा सकता है.
पूर्व में देश भर से अलग-अलग जगहों पर एसटी आरक्षण का लाभ लेने के लिए विभिन्न जाति एवं समुदायों ने अपनी मांग को सरकार के पक्ष रखा ही नहीं अपितु बड़े बड़े आंदोलन भी करने के पश्चात भी शेड्यूल्ड ट्राइब सूची में उन्हें नहीं जोड़ा गया. अगर कश्मीर में शेड्यूल ट्राइब सूची में किसी भी प्रकार का कोई भी बदलाव किया जाता है तो निश्चित ही देशभर में शांत पड़े एसटी आरक्षण की मांग करने वाले आंदोलन फिर से जोर पकड़ सकते हैं.