ब्रजेश पाटिल रिपोर्टर

सिराली तहसील के समीपस्थ ग्राम पीपल्या मे पिछले वर्ष भी रावण दहन को लेकर विरोध और विवाद ग्रामीणों के बीच हुआ था, जिस कारण अन्य ग्रामीणों द्वारा देवी जी का विसर्जन भी रोक दिया गया था, प्रशासन द्वारा समझाइश के बाद ही देवी जी की प्रतिमा का विसर्जन हो पाया था। ऐसा ही कूछ मामला इस बार भी देखने को मिल रहा है, जहाँ ग्रामीणों एवं आदिवासीयो के बीच अभी भी उन्ही बातों को लेकर एक दूसरे का बिरोध किया जा रहा। वही इस बात को लेकर जयस के पुरूषोत्तम कलम का कहना है कि हमारा संगठन किसी राजनीति पार्टी से नहीं जुड़ा है, हम सिर्फ आदिवासी समुदाय की मूल बहुत आवश्यकताओं लिए काम करते हैं, इसी बात को लेकर पिछले वर्ष भी जयस संगठन द्वारा ग्रामवासियो को समझाने का कार्य किया गया था, अब भी जयस संगठन यही चाहता है कि किसी प्रकार से कोई विवाद की स्थिति न बने और शांति व्यवस्था के साथ सभी हिल मिलकर अगामी त्योहार मनाएं,
क्या है मामला
ग्राम पीपल्या में पिछले वर्ष दशहरा उत्सव के दिन दूसरे पक्ष से जुड़े गांव के ही कुछ लोगों ने रावण दहन करने को लेकर आपत्ति ली थी। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दूसरे पक्ष से जुड़े लोगों ने रावण दहन करने जा रहे ग्रामीणों के साथ झूमाझटकी की थी। प्रशासन की समझाइश के बाद भी कुछ लोग रावण के पुतले को उठाकर ले जाने लगे थे। पिछले वर्ष की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार दूसरे पक्ष से जुड़े लोगों व दशहरा उत्सव समिति पदाधिकारियों सहित ग्रामीणों की मौजूदगी में शांति समिति की बैठक ली।
-: जयस संगठन के द्वारा इस प्रकार की कोई भी रावण दहन को लेकर चर्चा नही की गई और ना ही किसी प्रकार से शांति व्यवस्था भंग करना चाहते हैं, ग्राम पिपल्या का जो रावण दहन का मामला है, वह ग्रामवासियो के बीच आपस का है, हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करते,
पुरूषोत्तम कलम जयेस संगठन जिला प्रभारी हरदा।
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