संतोष प्रजापति ब्यूरो चीफ
डॉ प्रवीण शुक्ला पर फिर लगा गलत इलाज का आरोप, काटना पड़ सकता है 15 वर्ष के बालक का पैर
मुलताई- पारेगांव रोड पर स्थित अनमोल निजी हॉस्पिटल संचालक डॉ प्रवीण शुक्ला पर एक बार फिर गलत इलाज करने का आरोप लगा है। कक्षा दसवीं के 15 वर्ष के बालक पैर में खून के थक्के बन गए है डॉक्टर का कहना है कि बालक के पैर को काटना भी पड़ सकता है।यह गलत लाख का परिणाम है। इस संबंध में युवा मोर्चा अध्यक्ष निखिल जैन एवंउमेश राठौर ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन तहसीलदार बैद्यनाथ वासनिक को सौंप डॉक्टर प्रवीण शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। सौंपे गए इस ज्ञापन में कहा गया कि पैर में दर्द होने के कारण मेरे द्वारा अपने पुत्र विक्रम को डां. प्रवीण शुक्ला के हॉस्पीटल इलाज कराने मेरा साला कन्हैया साहू ले गया था। डा. प्रवीण शुक्ला ने तीन दिन तक अस्पताल में रहकर गलत इलाज किया तथा मेरे बेटे को गलत इंजेक्शन एवं बाटल चढाई तथा मेरे बेटे के पैर पर पटटी चढाई तीन दिन बाद दर्द कम नहीं होने पर मेरे द्वारा डां. प्रवीण शुक्ला को बताया की बेटे का दर्द कम नही हो रहा है तो डां. प्रविण शुक्ला ने कहा की तुम इलाज करवाने डां. ब्रजेश के यहा बैतूल चले जाओ वह मै तुम्हारा अच्छे से इलाज करवा दुगा डां. ब्रजेश के सलाह देने पर मैने डां. सिंह के यहा पैरो की जाँच करवाई फिर उक्त जाँच रिपोर्ट लेकर मुलताई क्रिश हास्पीटल आये तो वहा पर मौजूद डां. अकुंश भार्गव द्वारा बताया की विक्रम का पैर कट सकता है तथा जाँच रिपोर्ट में पता चला की विक्रम के पैर की नस में खुन का थकका जमा हुआ है ।पैर को कटने से बचाने के लिए नसों में जमा थकका हटाने के आपरेशन की आवश्यकता होने के कारण मरीज को नागपुर ले जाने की जरूरत है। कन्हैया साहू एवं परिजन दिनांक 14/10/22 को लगभग 3 बजे डां. प्रवीण शुक्ला से गलत इलाज करने की बात पुछने पर डां. प्रवीण शुक्ला द्वारा कन्हैया साहू को धमकी दी गई की तुझे जहा इलाज करवाना है करवा ले मै एक फुटी कौडी भी नही दुगा । तेरे जैसे जाने कितने मरीज आते है जिनको मैने कई बार गलत इलाज किया है और ऐसे जाने कितने लोग मर चुके है। मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता। तहसीलदार बैजनाथ में शिकायत करने पहुंचे लोगों को विश्वास दिलाया कि वह आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखेंगे उल्लेखनीय है कि अनमोल हॉस्पिटल के संचालक प्रवीण शुक्ला पर अनेकों बार गलत इलाज का आरोप लग चुका है अनेकों बार जांच हो चुकी है किंतु औपचारिक कार्रवाई के बाद मामला रफा-दफा हो जाता है। पीड़ित परिवार ने गलत इलाज करने पर एफ. आई. आर. करने एवं जांच कर अस्पताल बंद करने की मांग की है।
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