एस पाटीदार रिपोर्टर


मनावर द्वारा द्वारा आज गोपाष्टमी पर्व परंपरागत तरीके से सदस्यों द्वारा मनाया गया ।गौ भक्त महिलाओं द्वारा गऊ माता का श्रृंगार कर पूजन अर्चन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मनीष जी दीक्षित ,विशेष अतिथि मोहन जी पाटीदार , पर्यावरणविद लुणा जी काग ,ऋषिकेश पाटीदार द्वारा गौ माता की प्रतिमा पर पूजन कर दीप प्रज्वलित किया ।गौमाता को ओढ़नी ओढ़ायी गई। इस अवसर पर सदस्यो ने गऊ माता को हलवा, खल, काकडे,केले, भाजी ,छप्पन भोग की प्रसादी खिलाई गयी। ।पौराणिक कथा अनुसार भगवान कृष्ण जीवन के छटे वर्ष में प्रवेश करने पर मां यशोदा से जिद पर अड़ गए कि मैं गाय चराने जाऊंगा। । इस पर नंदलाला ने महर्षि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवा कर गोपाष्टमी पर्व पर कृष्ण जी एवम् बलराम भाई ने इसी दिन से पहली बार गाय चराना प्रारंभ किया। इसी कारण से इसका नाम गोपाल, गोविंदा पड़ा ।
गोकुलधाम गौशाला समिति के जगदीश चंद पाटीदार ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार ब्रज में इंद्रदेव ने वर्षा कर 7 दिन तक अपनी शक्ति का प्रदर्शन का कृष्ण को झुकाना चाहा।इस स्थिति में बाल कान्हा ने कनिष्ठा उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाया और लोगों की जान बचाई ।तभी इंद्रदेव ने गोपाष्टमी दिन हार मानी और पानी बंद किया।गोपाष्टमी का पर्व संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। हिंदू धर्म और संस्कृति की गऊ माता को आत्मा माना जाता है तथा गाय को आध्यात्मिक भौतिक गुणों का स्वामी भी माना जाता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गोपाष्टमी के पूर्व संध्या पर गऊ की पूजा करने वाले व्यक्तियों को खुशहाल जीवन और अच्छे भाग्य का आशीर्वाद मिलता है । भव सागर की पतवार माता-पिता और गो माता की सेवा है। देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें 5 गाय उत्पन्न हुई ।सुरभि, नंदिनी कपिला ,महालक्ष्मी और कामधेनु। हिंदू संस्कृति ने गाय को मां का दर्जा दिया । गाय का दूध, दही ,दही, छाछ और गोमूत्र भी मनुष्य जाति के लिए स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। जिस प्रकार मां अपने बच्चों को लालन-पालन और सुरक्षा करती है ,उसी प्रकार गो का दूध भी मनुष्य का लालन- पालन तथा स्वास्थ्य वह सद्गुणों की सुरक्षा करते हैं। गौ भक्तों द्वारा गौ माता की पूजा कर आरती की गई तथा प्रसादी वितरण की गई।
गोपाष्टमी पर्व यानी गायों की रक्षा ,संवर्धन उनकी सेवा के संकल्प का महापर्व है, जिसमें गाय बछड़ों का पूजन किया जाता है। स्वामी करपात्री जी महाराज ने संसद भवन पर 8 नवंबर 1966 को सत्याग्रह किया था। 56 वर्षों के पश्चात भी सरकार कानून नहीं बना पाई। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा धन प्राणधन है।सब कुछ गौ माता के लिए अर्पण किया जाना चाहिए। वही पात्र दान के लिए है। संरक्षक सुनील पाटीदार रीगल मेडिकल स्टोर्स, रमेश कुशवाह, प्रवीण पाटीदार ,हरि ओम, लक्ष्मण मुकाती, जितेंद्र सोनी, नवनीत ,मनीष जैन, नीलेश, अजय, भगवान भाई,लोकेश पाटीदार, विकास ,प्रेमलाल,योगेश,अशोक हम्मड,कौशिक पंडित, श्रीमति श्वेता सोनी एवम् उनकी महिला टीम द्वारा सहयोग किया गया। उक्त जानकारी गोकुलधाम गौशाला सेवा समिति के मीडिया प्रभारी जगदीश चंद्र पाटीदार,अध्यापक ने दी।
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