इऱफान अन्सारी रिपोर्टर

80 विधिक साक्षरता शिविर निर्मला कॉलेज में जरूरतमंदों की समस्याओं के समाधान हेतु लीगल एड क्लीनिक स्थापित
किया गया”
“नागरिकों को मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए” -श्री अश्वाक अहमद खान, विशेष सत्र न्यायाधीश महोदय “संविधान ही सर्वोच्च विधान है।”- जिला न्यायाधीश एवं सचिव श्री अरविंद कुमार जैन
उज्जैन:- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार संविधान दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय परिसर उज्जैन में “26 नवंबर (भारतीय संविधान दिवस ) ” को मान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राजेंद्र कुमार वाणी साहब के द्वारा सभी न्यायाधीशगण एवं न्यायालयीन कर्मचारीगण को भारतीय संविधान की उद्देशिका का सामूहिक वाचन कराते हुए सभी से संविधान का पालन करने का उद्बोधन दिया गया। इसी प्रकम में सभी तहसील न्यायालयों क्रमशः खाचरौद, नागदा, तराना, महिदपुर एवं बड़नगर में भी न्यायाधीशगण एवं कर्मचारीगण व अधिवक्तागण के द्वारा उद्देशिका का वाचन कर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये।
जिला मुख्यालय पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में प्रातः कालीन बेला में केंद्रीय विद्यालय में लगभग 1100 छात्र – छात्राओं को न्यायाधीश श्री अरविंद जैन के द्वारा संविधान की उद्देशिका का वाचन कराते हुए बताया गया कि संविधान ही देश का सर्वोच्च विधान है। प्रत्येक नागरिक को इसका पालन करना चाहिए। इस अवसर पर निर्मला कॉलेज में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संविधान के उद्देश्यों एवं विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी न्यायाधीश श्री अरविंद जैन के द्वारा विस्तृत रूप से दी गयी और जरूरतमंदों की समस्याओं के समाधान हेतु लीगल एड क्लीनिक का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर बिशप श्री सेबेसियन वडाकेल एवं कॉलेज की प्रधानाचार्य श्रीमती कीर्ति डिड्डी, फादर जोसेफ एवं अन्य प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की सहभागिता रही।
इस अवसर पर सांदीपनी विधि महाविद्यालय उज्जैन में विधि छात्र-छात्राओं के द्वारा मूट कोर्ट का आयोजन किया गया साथ ही साक्षरता शिविर का उद्घाटन विशेष सत्र न्यायाधीश श्री अश्वाक अहमद खान के द्वारा करते हुए अपने संबोधन में कहा गया कि आम नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ताकि समाज में कानून व्यवस्था सुचारु रूप से संचालित हो सके। विधि छात्र छात्राएं इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। समय-समय पर संविधान में संशोधन होते रहे जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के लोगों के लिए अनुकूल माना है। श्री खान ने यह भी बताया कि जब-जब कार्यपालिका के द्वारा अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही की तब-तब न्यायालयों ने आम जनता के अधिकारों की रक्षा की। उन्होंने निःशुल्क शिक्षा का अधिकार एवं म०प्र० अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना 2015 जैसी योजना को इसका उदाहरण बताया। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. योगेश शर्मा, सचिव मनीष शर्मा, प्राचार्य डॉ. जाकिर खान, प्रोफेसर श्री देवेंद्र जैन आदि का विशेष सहयोग रहा।
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