*विश्व देश 5 दिसंबर को #WorldSoilDay के रूप में मनाते हैं*।


हम सभी को अवगत हैं कि किस प्रकार कृषि में रासायनों के अत्यधिक प्रयोग से कृषि भूमि मृतभूमि में परिवर्तित हो गई है। मृदा में गिरता जैविक कार्बन प्रतिशत चिंताजनक है।
आइए विश्व मृदा दिवस के अवसर पर आज मृदा सुधार के बिंदुओं पर चर्चा करते हैं।
कृषि भूमि में रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर ह्यूमस निर्मिति के प्रयास तेज करने होंगे।
अतः विषमुक्त कृषि से जुड़ने वाले कृषक बंधु यह समझें कि ह्यूमस क्या है और इसका निर्माण कैसे होगा।
ह्यूमस भूमि की उर्बरा शक्ति को बढ़ाने वाली एक अद्भुत जैव रसायन प्रक्रिया है। जितना अधिक ह्यूमस निर्माण होगा फसल उत्पादन उतना अधिक आएगा।
हमारी भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं का संसार विकसित हो, वे अपना कार्य करें और उनके जीवित बने रहने की परिस्थिति रहे इस निमित्त हम खेत में घनजीवामृत जीवामृत प्रयोग तथा आच्छादन के साथ प्राकृतिक कृषि की अन्य विधियों का प्रयोग करना है जिनकी चर्चा पूर्व में भी हो चुकी है।ह्यूमस भूमि में लगातार 24 घंटे नए पदार्थ निर्माण करने वाला तथा पुराने पदार्थों का विघटन करने वाली व्यवस्था है।
पेड़ पौधों की वृद्धि के लिए जिन जिन खाद्य तत्वों की आवश्यकता होती है, उन सभी तत्वों की आपूर्ति जड़ों को ह्यूमस के माध्यम से ही होती है। इसमें अनंत करोड़ जीवाणुओं की बड़ी भूमिका है।
इस व्यवस्था में ह्यूमिक अम्ल humicacid का निर्माण स्वतः होता है। इसके अतिरिक्त पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक ग्रंथि रस(hormones) की आपूर्ति भी ह्यूमस से ही होती है।
ह्यूमस का शरीर स्पंज जैसा होता है जो हवा से पानी खींचता है और संग्रहित करता है।1 किलो ह्यूमस एक रात में लगभग 6 लीटर पानी पकड़ता है और जड़ों को उपलब्ध कराता है।
ह्यूमस निर्मिति खेत में ही पौधे की जड़ों के निकट होती है किसी फैक्ट्री या कंपोस्ट के गड्ढे जैसे अतिरिक्त स्थान पर नहीं।
1 वर्ग फुट हरे पत्ते पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया के द्वारा 4.5 ग्राम कच्ची शर्करा का निर्माण होता है। यह शर्करा जड़ों के माध्यम से सूक्ष्म जीवाणुओं को भोजन के रूप में पंहुचाई जाती है और इसके बदले में सूक्ष्म जीवाणु खाद्य पदार्थों को पकाकर जड़ों को देते हैं।
ह्यूमस का गठन अनेक तत्वों से होता है जिसमें जैविक कार्बन और जैविक नाइट्रोजन इसके मुख्य घटक हैं।
जैविक कार्बन का निर्माण वनस्पति एवं अन्य मृत जैव अवशेषों के अपघटन से होता है।ह्यूमस के शरीर में 60%कार्बन और 6%नाइट्रोजन होता है,अर्थात ह्यूमस के स्थायित्व के लिए कार्बन/नाइट्रोजन अनुपात 10/1 होना चाहिए।
गन्ना धान गेहूं,ज्वार, बाजरा, मक्का मडुआ जौ और अन्य एकदलीय तथा घास वर्गीय पौधों में कार्बन/नाइट्रोजन अनुपात 80/1 है। यह 1किलो नाइट्रोजन 10 किलो कार्बन को ही पकड़ पाएगा बाकी 70 किलो कार्बन व्यर्थ जाने वाला है।
अतः ह्यूमस निर्मिति के लिए हमें अतिरिक्त नाइट्रोजन चाहिए अन्यथा यह अतिरिक्त कार्बन वातावरण में उड़ जाएगा और कार्बनडाइऑक्साइड का निर्माण कर हानि पंहुचेगा।
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