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Dharmendra Singh

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June 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

चाची से बैंक वाली चाची तक का सफर

ब्यूरो चीप भुजबल जोगी

स्लंग राज्य आजीविका मिशन के द्वारा वन जी.पी. वन बी.सी. कार्यक्रम अंतर्गत बी.सी. सखी का चयन कर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक बी.सी. सखी तैनात की जानी है। इस मिशन के द्वारा माह अक्टूबर तक कुल 5,856 बी.सी. सखी को तैनात किया गया है। मिशन द्वारा चयनित बी.सी. सखी को आरसेटी में प्रशिक्षण प्रदान कर, आई.आई.बी.एफ. प्रमाणीकरण प्राप्त कर तैनात हैं। जिससे बी.सी सखी की आय में वृद्धि की जा सकें। इसी लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए ग्राम लौडारी, विकासखंड राहतगढ जिला सागर के उमा तिवारी, पति पं. शालिगराम तिवारी, का भी चयन नवंबर 2021 में किया गया था। परिवार में कुल 08 सदस्य हैं उमा ने बी.सी. सखी के कार्य से आय अर्जित कर घर खर्च के अलावा अपनी आमदनी बढ़ाने हेतु स्कूटी, सिलाई मशीन एवं नया मोबाईल खरीदा है और अन्य आवष्यक वस्तुओं की खरीदारी भी करी साथ ही अपने बैंक बैलेंस में भी वृद्धि की है, “उमा चाची“ से “चाची सखी“ बनने की कहानी अंचल के अन्य पी.सी. सखी को भी प्रेरित, प्रोत्साहित करती हैं।
उपलब्धियाँ
उमा तिवारी का गाँव लौहारी, सागर जिला कार्यालय से 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। गाँव की जनसंख्या 1,558 है, जिसमें 350 परिवार निवासरत हैं। राहतगढ विकासखण्ड आर्थिक गतिविधियों व बाजार हेतु जाना जाता है। उमा 2017 से मिशन द्वारा गठित “स्मृति स्वयं सहायता समूह“ से जुड़ी है। समूह में शिक्षित, सक्रिय एवं जागरूक सदस्य होने के कारण, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, अभिमान ग्राम संगठन एवं नवोदयी संकुल संगठन के पदाधिकारीयों एवं सदस्यों द्वारा सर्वसहमति से उमा का चयन किया गया। उमा का चयन नवंबर 2019 में बी.सी. सखी के रूप में मिशन द्वारा ग्राम पंचायत में तैनात किया गया। मिशन द्वारा आरसेटी में प्रशिक्षण हेतु उमा का नाम नामांकित किया गया, प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं आईआईबीएफ प्रमाणीकरण के बाद उसमें डिजिटल वित्तीय कार्य एवं बी.सी. सखी के लाभ की समझ विकसित हो गई।
उमा ने बी.सी. सखी का कार्य शुरू किया। उसने सर्वप्रथम अपने समूह की महिलाओं को बी.सी. सखी के फायदे बताएँ तथा ग्रामीणों को घर-घर जाकर अपनी सेवाओं के बारे में समझाया एवं घर-घर पहुँचकर सेवाएं दी। उमा एक उत्साही व मेहनती महिला है। जिसके द्वारा वह घर-घर जाकर वित्तीय एवं गैर वित्तीय सेवाऐं ग्रामीणों को नियमित रूप से प्रदान करती रही। जिससे गाँवों में पहले उनको चाची कहते थे और बी.सी. सखी पे पाइट सखी के कार्य से बैंक वाली चाची के नाम से पहचानने व जानने लगे हैं।
अपनी मेहनत व परिवार की सहायता से उमा ने अपने बी.सी. सखी के कार्य को और आगे बढ़ाने हेतु अपनी आय के बड़े भाग से नया मोबाइल, स्कूटी तथा कम्प्यूटर खरीदा। अपने गाँव के अलावा, आसपास के 05 गाँव के लोगों को वित्तीय के साथ ही गैर वित्तीय सेवाएँ (जैसे आयुष्मान कार्ड बनवाने ई श्रम कार्ड, मनरेगा योजानाअंर्तगत राशि का आहरण, पेशन, बीमा, उद्यानिकी शासकीय विभाग का कार्य, बिजली बिल का भुगतान, मोबाईल रिचार्ज आदि) आसानी से प्रदान कर रही है। वह प्रतिमाह औसत 300 ग्राहकों का लेन-देन करती हैं और औसत 5,000 से 6,000 प्रतिमाह कमा रही हैं।
उमा बी.सी. सखी के कार्य से अपने परिवार के घर खर्च एवं 05 बच्चों के पढ़ाई पर भी व्यय करती हैं। साथ ही उसने आगे अपनी कमाई बढ़ाने के लिए 40,000 रूपए का ऋण ले कर सेनटिंग का व्यवसाय शुरू कर पति की मदद की और अब वह बी. सी. सखी के कार्य को और बेहतर करने के लिए बैंक कियोस्क लेना चाहती है जिससे वह गाँव के लोगों को और अधिक सेवाएँ दे सकें तथा आय में वृद्धि कर सकें।
उमा की सफलता में बेसिक्स लिमिटेड एवं एमपीडे एस.आर.एल.एम का पूर्ण सहयोग रहा। बेसिक्स की राज्य एवं संकुल स्तरीय टीम बी.सी. सखी के चयन प्रकिया में शामिल रही, उन्मुखीकरण, पुनश्चर्चा प्रशिक्षण आय वृद्धि के प्रशिक्षण प्रदान किए। साथ ही बेसिक्स ने नियमित रूप से तकनीकी एवं गैर तकनीकी समस्याओं का समाधान किया तथा नवीन तकनीकों की जानकारी से उमा को अवगत कराते हुए, होल्डिंग समर्थन प्रदान करते रहें। जिससे उमा में कार्य करने की इच्छा एवं आत्मविश्वास बना रहा