बड़वानी से लोकेश कुमार जांगिड़ हाल ही में जिनका ट्रासफर हुआ ..पहले वे बड़वानी के अपर कलेक्टर थे ..उनका अचानक ट्रांसफर किसी के गले नहीं उतर रहा था.. करणी सेना ने दिया था ज्ञापन ट्रांसफर रुकवाने के लिए .
लोकेश कुमार जांगिड़ जो बड़वानी के अपर कलेक्टर थे उन्होंने लगाए गंभीर आरोप
लोकेश कुमार जांगिड़ जी ने बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा पर लगाया गंभीर आरोप उन्होंने कहा की शिवराज जी वर्मा मेरी वजह से पैसे नहीं खा पा रहे थे इसलिए उनका ट्रांसफर करवा दिया
. बड़वानी में उन्होंने 40 हजार का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 60 हजार में खरीदे जाने पर सवाल खड़ा कर दिया था, जिसके बाद उन्हें वापस राज्य शिक्षा केंद्र भेज दिया गया. सूत्रों की मानें तो जांगिड़ तभी से सिस्टम से नाराज चल रहे थे. अपनी चैट में उन्होंने ये तक लिखा है कि कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा किरार हैं, और उनकी पत्नी किरार महासभा की सेक्रेट्री हैं, जिसकी अध्यक्ष मुख्यमंत्री शिवराज की पत्नी साधना सिंह हैं. जांगिड़ ने ये तक लिखा कि बिहार में वो कलेक्टर नहीं बन सकता जो पैसा कमाता है.
आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार वर्तमान में राज्य शिक्षा केंद्र में पदस्थ हैं. जांगिड़ को हाल ही में बड़वानी अपर कलेक्टर के पद से हटाकर वापस राज्य शिक्षा केंद्र में पदस्थ किया गया है. ये ट्रांसफर प्रशासनिक जमावट बताया गया लेकिन अंदरखाने की खबर है कि जांगिड़ ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद में गड़बड़ी का खुलासा कर दिया था, जिसके बाद प्रशासनिक तौर पर हड़कंप मच गया. हालांकि ये बात समझ से परे है कि इस खुलासे के बाद जांगिड़ का तबादला भोपाल क्यों और किसके कहने पर किया गया. जांगिड़ ने वायरल चैट में इस घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि बड़वानी कलेक्टर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कान भरे, जिसकी वजह से उन्हें हटा दिया गया. लोकेश कुमार ने ये भी लिखा कि वो रिटायरमेंट के बाद एक किताब लिखेंगे, जिसमें और भी खुलासे करेंगे.
4 सालों में आठ बार ट्रांसफर
गौरतलब है कि जांगिड़ 2016 से फील्ड ड्यूटी पर हैं और 4 सालों में उनका 8 बार तबादला हो चुका है. यानि औसतन 6 महीने में उनका एक बार तबादला हुआ है. वो रेवेन्यू डिपार्टमेंट में अवर सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग में उपसचिव, एडीएम गुना, सीईओ हरदा, अपर मिशन संचालक राज्य शिक्षा केंद्र के पदों पर रहने के बाद अपर कलेक्टर बड़वानी बनाए गए थे. बड़वानी में उन्होंने 40 हजार का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 60 हजार में खरीदे जाने पर सवाल खड़ा कर दिया था, जिसके बाद उन्हें वापस राज्य शिक्षा केंद्र भेज दिया गया. सूत्रों की मानें तो जांगिड़ तभी से सिस्टम से नाराज चल रहे थे.
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