पं संदीप शर्मा रिपोर्टर

कटनी (22 मई )- कलेक्टर अवि प्रसाद ने सोमवार की शाम भारत सरकार के कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत विश्व स्तर पर ख्याति लब्ध इंस्टीट्यूट आफ कंपनी सेक्रेट्रीज आफ इंडिया के राष्ट्रीय वेबीनार के प्रेरक सत्र को मुख्य अतिथि की हैसियत से वर्चुअली संबोधित किया। श्री प्रसाद ने इस दौरान अपने बचपन की शिक्षा से लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक की जीवंत और प्रेरक वृत्तांत से छात्रों को प्रोत्साहित किया।
श्री प्रसाद ने अपने वर्चुअली संबोधन में कहा कि सफलता का कोई फार्मूला नहीं है हमें वह आदत डालनी चाहिए जो हमें हमारे भविष्य को हमारी पसंद के हिसाब से विकसित करें। छात्रों को बताया कि उनके स्कूलिंग के बाद भविष्य में क्या करना है जैसे सवाल जस के तस थे। श्री प्रसाद ने छात्रों को अपनी स्कूली शिक्षा से लेकर आईएएस बनने तक के दास्तान को साझा करते हुए कहां की उनके परिवार में उनके पहले किसी भी सदस्य ने डॉक्टर ,इंजीनियर ,वकील ,सीए जैसे प्रोफेशन तो दूर की बात है। यहां तक कि किसी ने कभी प्राइवेट नौकरी तक नहीं की थी । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि उन्हें बचपन से ही कामिक्स पढ़ने का शौक रहा जिसकी वजह से रीडिंग हैबिट में तब्दील हो गई। उन्होंने बताया कि वह स्वयं अपने घर में अपने दादा जी और दादी जी को रामायण और भगवत गीता पढ़ते देखते थे। वे स्वयं भी कक्षा 12वी के पश्चात भी यह निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि इतिहास अथवा रसायन शास्त्र में से किस विषय में आगे की पढाई करें। लेकिन परिवार के शुभचिंतकों की सलाह के बाद वह कोटा जाकर 2 वर्षो तक इंजीनियरिंग की कोचिंग करने लगे। उस समय उनके पास स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण वे काउन्सिलिंग से वंचित रह गए एवं इंजीनियरिंग मे प्रवेश नही ले सके।
उन्होनें जीवन में अच्छे मित्रों की संगती और अच्छी पुस्तकों के अध्ययन की सलाह देते हुए कहा कि भाग्य और तकदीर का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। सफलता विविध आयामों पर निर्भर करती है, जिसमें ईश्वर की कृपा और भाग्य भी शामिल है। उन्होनें कंपनी सेकेट्री की पढाई जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय और फायनेंस की डिग्री और उसके बाद जोधपुर नेशनल लॉ यूनिर्वर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुुएशन करनें के दौरान भी सीखने की ललक को जारी रखा। बीच में खोए हुए अवसरों को नए अवसरों के रूप में तलाश के सिलसिले को जारी रखा। वे प्रतिदिन 6 दैनिक अखबार पढते थे जिससे उन्हे करंट अफेयर्स में अपडेट होने और हफ्ते में लगभग 4 -5 किताबे पढनें की आदत थी। जो उनके लिए भविष्य में मददगार सबित हुई।
श्री प्रसाद ने छात्रों को प्रोेत्साहित करते हुए कहा कि अच्छी आदतों को अपनांए और अपनें पसंद के कामों पर ध्यान दें। कलेक्टर श्री प्रसाद ने कहा कि उन्हे साहित्य, रंगमंच, संगीत में बहुत रूचि है। साथ ही वो अपनी शिक्षा के दौरान लोगों से मिलकर उनके बारे में जानने का प्रयास करते थे। जिससे विभिन्न विचारधाराओं और अलग- अलग दृष्टिकोण से परिचित हो सकें। इसी दौरान उन्हे यह ज्ञात हुआ कि वित्त, सामाजिक बदलाव का महत्वपूर्ण अंग है। उन्होने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी के दौरान ही वे आईएएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित हुए।
श्री प्रसाद ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के सीतापुर से हैं। जहां का परिदृष्य लगभग ग्रामीण जैसा ही है। पुस्तकें पढ़ने की निरंतरता से उच्च शिक्षा और फिर आईएएस अधिकारी बनने के मुकाम तक पहुंचने में मददगार साबित हुई।
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