

मां हरसिद्धि गऊशाला सिंघाना में भारतीय संस्कृति एवम प्राचीन परम्परा के अनुसार कार्यक्रम किया।
लोकेशन -मनावर
तुला दान महादान है ।मान्यता है कि तुलादान करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और वह सभी सुखों का भोगकर अंत समय मे मोक्ष को प्राप्त करता है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी द्वारा बताये गये दान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा जी ने तीर्थ का महत्व करने के लिए तुला दान करवाया था ।हालांकि इसके पीछे भी भगवान कृष्ण की कथा आती है ।तुलादान कलयुग में यह काफी प्रचलन में है ।
मंत्र :–नमस्ते सर्वभूतानां साक्षि भूते सनातनि।
पितामहेन देवि त्वं निर्मिता परमेषठिना। त् घृत जगत्सर् सहस्थावर जंगमम् ।।
तुलादान के समान कोई दान नहीं है। सभी प्रकार के कष्ट का समाधान है 16 महादान में पहला महादान तुलादान है। सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण ने तुलादान किया था ।उसके बाद भक्त प्रहलाद, परशुराम जी ने किया था ।हिंदू संस्कृति के अनुसार दान और त्याग मुख्य पुराणो एवम स्मृतियों में 16 महादान बताए गए हैं ।इसमें एक तरफ दान करने का वजन और दूसरी तरफ भार के बराबर की वस्तु को तौलकर ब्राह्मणो को दान मे दी जाती है। तुलादान करने से मनुष्य ब्रह्म हत्या से अनेक पापों से मुक्त होकर पवित्र हो जाता है। तुलादान करने वालों को विष्णु की प्राप्ति होती और पुन: जन्म लेता है और धर्मात्मा राजा बनता है। तुलादान को देखने श्रवण करने से मनुष्य को देवलोक की प्राप्ति होती है। मुलादान करने वाला अंजलि में पुष्प लेकर तुला की तीन परिक्रमा इन मंत्रों से करता है ।दानदाता एक तरफ और दूसरी तरफ अन्य वस्तुएं पदार्थों को तब तक रखते जाते हैं जब तक के तराजू का पलडा भूमि को स्पर्श न कर ले। प्राचीन समय में मनुष्य के शरीर के भाग के बराबर वर्णन स्वर्ण तौला जाता था किंतु कलयुग में स्वर्ण अन्न है इसलिए सप्तधान्य से तौला जाता है ।गेहूं ,ज्वार ,चावल, बाजरा, मक्का, का दान कर सकते हैं। मां हरसिद्धि गउ शाला सिंघाना में तुलादान किया। नन्हीं दुनिया मनावर के संचालक आशीष शर्मा एवम रितु शर्मा दुर्गा वाहिनी मातृ शक्ति की मालवा प्रान्त सह संयोजकिता के सुपुत्र “श्री ” शर्मा का जन्म दिवस के तिथि अनुसार मनाया गया ।ज्ञान दान को भी श्रेष्ठ दान में गिना जाता है । तुलादान हमेशा शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन करना चाहिए ।तुलादान में से जुड़ी सामग्री दान करने पर नौ ग्रहो से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं ।मान्यता है कि तुला दान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा जी के नेतृत्व का महत्व तय करने के लिए पूरा दान करवाया था। हालांकि इसके पीछे भी भगवान कृष्ण की कथा आती है।ऋतु शर्मा, आशिष शर्मा, मुकेश शर्मा, नवनीत पौराणिक, एवम हिंदू संस्था से जुड़े हुए सदस्य व मातृशक्ति उपस्थित थी।
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