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Dharmendra Singh

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June 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत


भगवान महावीर की निर्वाण प्राप्ति के 2550 वें वर्ष के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर आष्टा के तत्वावधान में स्थानीय मानस भवन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम कार्यक्रम अतिथिगण श्रीपारसमल सिंघवी, श्री रमेशचंद्र भूतिया,श्री आंनद पोरवाल,श्री पवन सुराणा द्वारा दिप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया उसके पश्चात संघ द्वारा पारित प्रस्ताव का लिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमे कहा गया कि – *मानव कल्याण को समर्पित थे भगवान महावीर स्वामी*
भगवान महावीर के निर्वाण प्राप्ति के 2550 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उन्होंने कार्तिक अमावस्या के दिन अष्टकर्मों का नाश करके निर्वाण प्राप्त किया था। जनमानस को ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जानी वाली इस दिव्य विभूति ने आत्मकल्याण तथा समाज कल्याण में अपने जीवन को समर्पित कर मानवता पर परम उपकार किया। मानवता के कल्याण को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के रूप में पांच सूत्र दिए थे, जिनकी सर्वकालिक प्रासंगिकता है।
भगवान महावीर ने नारीशक्ति को सम्मानजनक स्थान प्रदान करते हुए उन्हें खोया गौरव लौटाकर समाज में लैंगिक भेदभाव को मिटाने का युगांतरकारी कार्य किया। अपरिग्रह के संदेश से उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को सीमित करते हुए संयमपूर्ण जीवन जीने तथा अपनी अतिरिक्त आय को समाज के हित में समर्पित करने की दिशा दी। हमारी वर्तमान जीवन शैली को पर्यावरण से होने वाली हानि से बचाने में अपरिग्रह का सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। अहिंसा, सह-अस्तित्व और प्राणिमात्र में समान आत्मतत्व के दर्शन करने की उनकी शिक्षा का अनुपालन विश्व के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित कर्म सिद्धांत में अपने कष्टों और दुःखों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराने से बचने तथा अपने कर्म को ही कर्ता के सुख-दुःख का कारण मानने का सन्देश निहित है।
“स्यादवाद “भगवान महावीर का एक प्रमुख संदेश है। अनेक प्रकार के द्वंद्वों से पीड़ित मानवता को बचाने तथा शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए स्यादवाद आधार बन सकता है।
संघ का मत है कि वर्तमान को वर्द्धमान की बहुत आवश्यकता है। भगवान महावीर के निर्वाण प्राप्ति के 2550वें वर्ष के अवसर पर संघ उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता है। सभी स्वयंसेवक इस निमित्त होने वाले आयोजनों में पूर्ण मनोयोग से योगदान करेंगे तथा उनके उपदेशों को जीवन में चरितार्थ करेंगे। समाज से अपेक्षा है कि भगवान महावीर की शिक्षा को अंगीकार करते हुए विश्व मानवता के कल्याण में स्वयं को समर्पित करे।
उसके पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुनि 108 श्री मार्दवसागर जी महाराज का पावन सानिध्य एवं आशीर्वचन प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने बताया कि भगवान महावीर जैन ही के नही अपितु सम्पूर्ण मानव जाति के हैं भगवान महावीर की शिक्षा को अंगीकार करते हुये विश्व मानवता के कल्याण में हमे लगना चाहिये। कार्यक्रम में जैन समाज के साथ ही सेकड़ो की संख्या में सभी समाजजन उपस्थित हुए।कार्यक्रम में मुख्यरूप से श्री संतोष तोमर,श्री राजेंद्र सोलंकी, श्री पुरुषोत्तम जी मंडलोई, श्री गणेश सोनी, श्री मनोज तिवारी, श्री मुकेश गुलवानी,श्री रवि श्रोत्रिय,श्री नीरज जैन,श्री राहुल साँवरिया,सकल हिन्दू समाज के संयोजक श्री सुरेश सुराणा के साथ ही अनेक स्वयंसेवक उपस्थित हुये।