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August 8, 2025

सच दिखाने की हिम्मत


कर्नल देव आनंद लोहामरोड़
13 Mar 24, हाल ही में भारत के लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर सेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में भारत के रक्षा मंत्री द्वारा लक्षद्वीप के सबसे दक्षिणी द्वीप मिनिकॉय पर
“आई एन एस जटायु” के नाम से एक नये नौ सैनिक अड्डे का 6 मार्च को उद्घाटन किया। लक्षद्वीप के सबसे दक्षिणी द्वीप मिनिकॉय पर बेस , जो संचार की महत्वपूर्ण समुद्री लाइनों (एस एल ओसी) तक फैला हुआ है, का नाम रामायण में पौराणिक प्राणी जटायु के नाम पर रखा गया है, जिसने सीता के अपहरण को रोकने की कोशिश की थी। यह बेस भारत के लिए आंख और कान के रूप में काम करेगा। कवारत्ती से मिनिकॉय द्वीपों की दूरी 258 किलोमीटर है। मिनिकॉय बेस मालदीव के सबसे उत्तरी द्वीप थुराकुनु से लगभग 130 किमी दूर होगा।

लक्षद्वीप इतिहास की नजर से …
लक्षद्वीप, भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी दूर अरब सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। पहले इन द्वीपों को ‘लक्कादीव-मिनिकॉय-अमिनीदिवि द्वीप’ के नाम से जाना जाता था। यह द्वीपसमूह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश होने के साथ साथ एक जिला भी है। पूरे 36 द्वीपों के द्वीपसमूह को लक्षद्वीप के नाम से जाना जाता है, हालाँकि भौगोलिक रूप से यह केवल द्वीपसमूह के केन्द्रीय उपसमूह का नाम है। इसका कुल सतही क्षेत्रफल सिर्फ 32 वर्ग किमी है, जबकि अनूप क्षेत्र 4,200 वर्ग किमी, प्रादेशिक जल क्षेत्र 20,000 वर्ग किमी और विशेष आर्थिक क्षेत्र 400,000 वर्ग किमी में फैला है। कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है, यह द्वीपसमूह लक्षद्वीप-मालदीव-चागोस समूह के द्वीपों का सबसे उत्तरी भाग है, और यह द्वीप एक विशाल समुद्रमग्न पर्वत-शृंखला चागोस-लक्षद्वीप प्रवाल भित्ति के सबसे उपरी हिस्से हैं।

लक्षद्वीप और भारत की सामरिक ताकत …..
लक्षद्वीप जिसे संस्कृत और मलयालम में ‘एक लाख द्वीप’ के नाम से जाना जाता है। लक्षद्वीप हिंद महासागर में प्रवाल द्वीपों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें दक्षिण में मालदीव और भूमध्य रेखा के दक्षिण में चागोस द्वीपसमूह शामिल हैं। लक्षद्वीप 36 द्वीपों का एक समूह है जिनमे केवल 11 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं । ये द्वीप कोच्चि से 220 किमी से 440 किमी के बीच की दूरी पर स्थित हैं। हिंद महासागर में अपने स्थान के कारण, लक्षद्वीप भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। मिनिकॉय द्वीप महत्वपूर्ण समुद्री रास्तों (SLOCs) पर स्थित है, जिन्हें विश्व के प्रमुख समुद्री राजमार्ग माना जाता है जहां से विश्व का 70% व्यापार प्रभावित होता है। इनमें आठ डिग्री चैनल (मिनिकॉय और मालदीव के बीच) और नौ डिग्री चैनल (मिनिकॉय और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के मुख्य समूह के बीच) शामिल हैं। सरकार सैन्य और नागरिक दोनों उपयोग के लिए मिनिकॉय पर भारत की पूर्ण समुद्री डोमेन जागरूकता और चुनौतियों का तुरंत जवाब देने की क्षमता की योजना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्तमान में, लक्षद्वीप के पास अगत्ती में एक हवाई पट्टी है, लेकिन इसका उपयोग केवल संकीर्ण-बॉडी विमानों द्वारा किया जा सकता है। अगती आइलैंड पर मौजूद एयरस्ट्रिप को भी अपग्रेड किया जा रहा है. इस एयरस्ट्रिप का इस्तेमाल फाइटर जेट्स और भारी विमानों के लिया किया जाएगा. साथ ही मालदीव, पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर सीधी नजर रखने में मदद मिलेगी. असल में लक्षद्वीप और मिनिकॉय आइलैंड नौ डिग्री चैनल पर हैं. जहां से हर साल लाखों-करोड़ों डॉलर्स का व्यवसाय होता है. यह उत्तरी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच का रास्ता है भारत सरकार ने मिनिकॉय पर एयरस्ट्रिप बनाने का फैसला भी किया है. ताकि भारतीय सेनाएं हिंद और अरब महासागर में शांति स्थापित कर सकें. इसके अलावा इंडो-पैसिफिक रीजन में समुद्री सुरक्षा को बरकरार रखा जा सके.
आई एन एस जटायु स्वतंत्र नौसेना इकाई की स्थापना, भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ते हुए भारत के समुद्री हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकेगा । अरब सागर के पश्चिमी भाग में समुद्री डाकुओं और मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद करेगा। जटयु के चालू होने से भारतीय नौसेना पश्चिमी समुद्री तट पर और मजबूत होगी। यह ऐसे समय में नौसेना की पहुंच और निगरानी क्षमता का विस्तार करेगा, जब भारत हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव का मुकाबला करना चाहता है। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि पिछले महीने ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मॉरीशस समकक्ष प्रविंद जुगनौथ ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर छह सामुदायिक विकास परियोजनाओं के साथ-साथ नई हवाई पट्टी और सेंट जेम्स जेट्टी का उद्घाटन किया एवं भारत सरकार ने अभी अंडमान और निकोबार आइलैंड के कैंपबेल खाड़ी में नई फैसिलिटी बनाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्षद्वीप जाना ही मालदीव राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु की भारतीयों के प्रति नफरत को पीएम ने बिना बोले ही जवाब दे दिया। अब उसी लक्षद्वीप में हमारी नौसेना ने आईएनएस जटायु नाम का एक नया नौसैनिक अड्डा बना कर मालदीव के साथ-साथ चीन को भी साफ संदेश दे दिया है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है। यह उसी समय किया गया है, जब भारत ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर एक हवाई पट्टी और एक जेट्टी का उद्घाटन किया ह जो भारत की सामरिक ताकत को सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है ।