11 मार्च 2024 , जहां एक तरफ भारत के उत्तरी छोर पर 10000 सैनिकों की चीन के विरुद्ध तैनात करने की खबर आई और दूसरी तरफ 6 मार्च को दक्षिण में लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर जटायू सैनिक अड्डे के उद्घाटन की , वहीं पर आज भारत ने पहली बार देश में ही विकसित एक से अधिक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल का ओडिशा के बालेश्वर जिले में मौजूद एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप के इंटररिम परीक्षण रेंज से अग्नि 5 शक्तिशाली और लंबी दूरी की मिसाइल के 25वें वर्जन का सफल परीक्षण किया गया। इसके साथ भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास एमआइआर वी तकनीकी से लैस मिसाइल है। अब तक, चीन अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेस- के पास ऐसे मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता है. इन देशों के पास भूमि या सबमरीन से इन मिसाइलों को दागने की क्षमता है।
मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआइआर वी) तकनीक क्या है?
यह एक ऐसी तकनीक है जो एक एकल बैलिस्टिक मिसाइल को एकाधिक परमाणु या गैर परमाणु हथियार ले जाने की अनुमति देती है। इस तकनीक के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है और इन हथियारों से अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है तथा जरूर पड़ने पर एक ही लक्ष्य को पूरी तरह बर्बाद करने के लिए समय का अंतराल देते हुए निशाना बनाया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से मिसाइल के ऊपर लगाए जाने वाले वॉरहेड्स की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिसकी वजह से यह एक से ज्यादा लक्ष्य पर हमला कर सकती है.
अग्नि सीरीज की अब तक की यात्रा…..
2008 में डीआरडीओ ने अग्नि मिसाइल पर काम करना शुरू किया था। डीआरडीओ रिसर्च सेंटर बिल्डिंग (आरसीआइ), एडवांस सिस्टम लाबोरेटरी (एएसएत) एवं डिफिेंस रिसर्च तथा डेवलेपमेंट लाबोरेटरी (डीआरडीएल) ने संयुक्त रूप से इस मिसाइल को विकसित किए हैं। अग्नि सीरीज में अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3, अग्नि-4 और अब अग्नि-5 मिसाइलें विकसित की जा चुकी हैं. इनमें अग्नि-1 पहली जनरेशन की मिसाइल थी, जिसकी रेंज 700 से 800 किमी की थी. इसके बाद अग्नि-2 विकसित हुई, जिसकी रेंज 2,000 किमी से अधिक हुई. अग्नि-3 की रेंज 2,500 किमी तक हुई, जिसके बाद अग्नि-4 की रेंज को बढ़ाकर 4000 किमी तक किया गया. अब अग्नि-5 की रेंज को बढ़ाकर 5,000 से 7,000 किमी तक कर दिया गया है । अग्नि-5 का पहला टेस्ट अप्रैल 2012 में हुआ। सितंबर 2013 में दूसरा, जनवरी 2015 में तीसरा और दिसंबर 2016 में चौथा प्रक्षेपण किया गया। दिसंबर 2018 तक इसके सात टेस्ट किए गए। इन परीक्षणों के दौरान मिसाइल को अलग-अलग तरह के लॉन्चिंग पैड से दागा गया। सभी तरह के टेस्ट में अग्नि-5 खरी उतरी। अग्नि-5 का वजन करीब 50 हजार किलोग्राम था, लेकिन चूंकि इसके स्टील एलिमेंट को हटाकर कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया और इसका वजन 20 फीसदी कम किया गया है, तो अब इसका वजन करीब 40 हजार किलोग्राम हो गया है
अग्नि 5 मिसाइल की खूबियां…..
अमूमन एक मिसाइल में एक ही वॉरहेड होता है और एक ही टारगेट को हिट करता है लेकिन अग्नि 5 की खूबी यह है कि यह 10 अलग-अलग टारगेट पर अलग-अलग रेंज पर एक साथ परमाणु एवं गैर परमाणु वारहेड से प्रहार कर सकती है।
. 17.5 मीटर लंबी है और इसका व्यास 6.7 फीट है. वजन 40 टन , वार हेड 1.5 टन, 10 वार हेड तक ले जा सकता है
. पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकी से 1.5 टन वजन तक परमाणु एवं गैर परमाणु विध्वसंक 5 – 7000 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम है।
. यह मिसाइल आवाज की गति से 24 गुना ज्यादा तेजी से उड़ती है. इस मिसाइल की अधिकतम रफ्तार एक सेकंड में 8.6 किलोमीटर यानी 29,401 किमी प्रति घंटा है.
. मिसाइल में लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस और NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल दुश्मन पर सटीक वार करने के लिए इस इस्तेमाल किया गया है.
. दुनिया के किसी भी एंटी मिसाइल सिस्टम को भेद सकती है और अभी तक इसका तोड़ दुनिया का कोई भी देश विकसित नहीं कर पाया ।
. इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो सॉलिड फ्यूल पर चलते हैं.
. इसे सड़क मार्ग से कहीं भी ले जाया जा सकता है और चलते ट्रक तक से दागा जा सकता है।
भारत के लिए सामरिक महत्व…
अग्नि-5 एक अतरमहाद्वीपीय बेलिस्टिक मिसाइल है, जो अपनी बढ़ी हुई रेंज के चलते लगभग आधी दुनिया को अपनी जद में ले सकती है. भारत से लॉन्च किए जाने के बाद यह मिसाइल आधे अफ्रीका, रूस का ऊपरी हिस्सा, ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग और ग्रीनलैंड तक को अपनी जद में ले सकती है.
अग्नि 5 मिसाइल के सफल परीक्षण के से भारत अब अमेरिका, चीन, रूस, यूके और फ्रांस के बाद उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल है. भारत के इस सफल परीक्षण से सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को लगा है क्योंकि वह भी इस तकनीक को इजाद करने की कोशिश में लगा था. यह तकनीक भारत के पास आने से इसका असर चीन पर भी पड़ा है.चीन जैसे देशों को यह डर है कि इस मिसाइल की जद में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है । इस अत्याधुनिक प्रणाली में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता को भी दर्शाती है।
भारत की परमाणु हमले की ” नो फर्स्ट यूज पॉलिसी” के अंतर्गत भारत पर किसी भी न्यूक्लियर हमले के उपरांत एक ही बार में किसी भी दुश्मन देश को पूरी तरह बर्बाद करने की काबिलियत के फल स्वरुप अब भारत के दुश्मन देश पर यह बहुत बड़ा दबाव का काम करेगा ।
अग्नि 5 में इस नई तकनीक को विकसित करके भारत ने उन दुश्मन देशों को यह संदेश दे दिया है कि अब वो आत्मनिर्भर भारत के तहत एडवांस टेक्नोलॉजी विकसित रह सकता है.
भविष्य में डीआरडीओ की तैयारी अग्नि-5 को और घातक बनाने की है। वह इसकी रेंज 10 हजार किलोमीटर तक ले जाने की कोशिशों में जुटा है। अभी इसे केवल जमीन से चलाया जा सकता है। पानी से भी यह मिसाइल चलाई जा सके, इसके लिए अग्नि-5 के सबमरीन वर्जन पर भी काम चल रहा है।।।
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