सरदारपुर से राहुल राठोड़
सरदारपुर- राजोद होली के बाद से शहर में अलग-अलग समाजों की गणगौर निकालने का सिलसिला चल रहा हैं। इसी दौरान में बुधवार को माहेश्वरी महिला मंडल ने नरसिंह मंदिर से गणगौर निकाली। जो शहर के मुख्य मार्गों से होते नरसिंह मंदिर पहुंची जहा पर गणगौर माता की आरती कर प्रसाद वीतरण कर समापन हुआ।
माहेश्वरी समाज की रश्मि काबरा ने बताया कि गणगौर शब्द गण और गौर दो शब्दों से मिलकर बना है। जहां ‘गण’ का अर्थ शिव और ‘गौर’ का अर्थ माता पार्वती से है। दरअसल, गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है। इसलिए इस दिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है। इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव के साथ सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए भ्रमण करती हैं। महिलाएं परिवार में सुख-समृद्धि और सुहाग की रक्षा की कामना करते हुए पूजा करती हैं।
गणगौर के पहले फुल पाती का पूजन किया गया। गाजे-बाजे के साथ निकाली इस गणगौर में रास्ते भर महिलाए, बालिकाएं नृत्य करती हुए चल रही थी। इस अवसर पर महिला
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