Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

June 2025
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
June 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत


आष्टा/किरण रांका
श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ मालीपुरा आष्टा के पावन तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के प्रथम दिवस पर आज सैकड़ो भक्तों ने अपने गुरु की अर्मत वाणी का लाभ लिया! परम पुज्य सद्गुरु कृष्णा माँ ने अपनी ओजस्वी वाणी में आज कहा की :-
1 जीवन में दुखों का आना भी जरूरी है दु:ख हमें भगवान की याद दिलाता है हमें परमात्मा क से जोड़ता है !कहा भी गया है की:-‘” दुखों की चोट खाई ना होती, तो प्रभु तेरी याद आई ना होती””! जब व्यक्ति के जीवन में सुख संपदा बढ़ती है तो वह बुरे कर्म करने लगता है और शराब व्यभिचार ना जाने कितने बुरे व्यसनों में गिर जाता है! और और धीरे-धीरे पतन के रास्ते पर चला जाता है! इसलिए संतों ने कहा है की सुख हो या दुख हो हर समय भगवान और गुरू का सानिध्य लेते रहना चाहिए! संत हमें हर पल बुराइयों से बचाते रहते हैं! और एक नवीन जीवन जीने की कला सिखाते हैं!
2 संत तीन तरह के होते हैं :-
पहले संत ,लक्कड़ संत कहलाते हैं जो लकड़ी की नाव की तरह हमें इस भव सागर से पार उतारते रहते हैं ! दूसरे प्रकार के संत पत्थर संत कहलाते हैं जो पत्थर की नाव की तरह होते है जो स्वयं भी डूबते हैं और अपने शिष्यों को भी डुबो देते हैं !इस तरह के संतों की संख्या समाज में बहुत ज्यादा होती है! तीसरे प्रकार के संत फक्कड़ संत कहलाते हैं! ऐसे संत जिनके पास अपने स्वयं का राम नाम का बैलेंस, राम नाम का खजाना रहता है! जो जले हुए दीपक की तरह होते हैं! ऐसे संत राम नाम के खजाने को अपने शिष्यो के बीच लूटाते रहते हैं और उनके हृदय में भगवान् के नाम का दिपक जला देते हैं! और जीव को जीवन मरण के बंधन से मुक्त करते रहते हैं!
3 रावण कहता था की सारी दुनिया की सुंदर वस्तुएं मुझे मिल जाए ,जबकि भगवान् राम कहते हैं की जो मुझे मिला वही सुंदर वस्तुयें है! आध्यात्मिक और अच्छा व्यक्ति वही है जिसे जो भगवान ने दिया है उसी को सुंदर मानता है उसी में संतुष्ट रहता है उसे जो प्राप्त है उसी को पर्याप्त मानता है! जबकि दुराचारी और बुरा व्यक्ति हमेशा दूसरों के धन, दूसरों की पत्नी, दूसरों का विभव संपदा को देखकर जलता रहता है और जिसका परिणाम निश्चित थी बहुत बुरा होता है! व्यक्ति के पास जो भी रहता है उससे वह संतुष्ट ना हो कर दूसरे के पास कहीं अधिक देखने की गलती करता है! जिसके कारण वह हमेशा दुखी रहता है!
सभी धर्म प्रेम बंधुओ से निवेदन है की अमृत महोत्सव में पधारे और सत्संग का लाभ लेकर अपने मानव जीवन को सार्थक करें धन्यवाद!