Chief Editor

Dharmendra Singh

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August 7, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

2 अगस्त 2024, इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानियेह और वरिष्ठ हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुक्र की मौत के कुछ घंटों बाद
कहा कि उनके देश ने पिछले कुछ दिनों में दुश्मनों को करारा झटका दिया है। मुस्लिम देशों ने इस हत्या पर निंदा जाहिर की है। दूसरी और भारत के कई तथाकथित विद्वान एवं जानकारो द्वारा रक्षा मंत्री को लिखे गए एक पत्र में आग्रह किया गया है कि भारत सरकार द्वारा इसराइल को किसी भी प्रकार की मदद नहीं करनी चाहिए।
पृष्ठभूमि : 7 अक्टूबर 2023 को सैकड़ों हमास लड़ाके इजरायल में घुसपैठ करते हैं और सड़कों, घरों और एक रेगिस्तानी संगीत समारोह में कई नागरिकों को मारते हैं। इसके अलावा लड़ाके इजरायली सेना के ठिकानों पर भी हमला करते हैं। वह 251 बंधकों को पकड़कर गाजा वापस ले गए, जिनमें से 111 अभी भी हिरासत में हैं और 39 को सेना ने मृत बताया है।फिलिस्तीके सदस्यों द्वारा किए गए हमले से शुरू हुई भीषण जंग में अब तक हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और गाजा पट्टी के कई शहर तहस नहस हो चुके हैं। हमास द्वारा हवाई और ज़मीनी ऑपरेशन में कम से कम 39,480 लोग मारे गए हैं। जिसके बाद इजरायल द्वारा जवाबी कार्रवाई में गाजा पर बमबारी और घेराबंदी शुरू कर देता है। 13 अक्टूबर को वह उत्तरी गाजा में नागरिकों से अपेक्षित जमीनी हमले से पहले दक्षिण की ओर बढ़ने का आह्वान करता। 27 अक्टूबर 2023 को इजरायल ने जमीनी आक्रमण शुरू किया। 15 नवंबर को इजरायली सैनिकों ने गाजा की सबसे बड़ी चिकित्सा सुविधा, अल-शिफा अस्पताल पर छापा मारा, जहां इजरायल का दावा है कि हमास का एक कमांड सेंटर है, लेकिन हमास इससे इनकार करता है। 24 नवंबर को इजरायल और हमास के बीच एक सप्ताह का संघर्ष विराम होता है, जिसके बाद हमास इजरायली जेलों में बंद 240 फिलिस्तीनियों के बदले में 80 इजरायली बंधकों को रिहा करता है।
भारत इजराइल संबंध:
1947 में फिलिस्तीन के लिए संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना के प्रति भारत के शुरुआती विरोध के शुरुआती विरोध के उपरांत भारत ने 17 सितम्बर 1950 को इजराइल को मान्यता देने की घोषणा की। हालाँकि, उसने 1992 में ही पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किये। भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन का हिस्सा था, तथा सोवियत ब्लॉक के साथ उसके घनिष्ठ संबंध थे और अरब जगत से उसकी निकटता थी, जबकि इजरायल संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो का सहयोगी था। 1947 के बाद के भारतीय राजनीतिक नेतृत्व की अजीब सोच के कारण डर था कि यहूदी राज्य के साथ घनिष्ठ संबंध किसी तरह उसके मुस्लिम नागरिकों – जिनकी संख्या 100 मिलियन से अधिक है और अरब दुनिया के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं । भारत ने 1980 के दशक के अंत तक सार्वजनिक रूप से इज़राइल से दूरी बनाए रखी, लेकिन वास्तव में, पिछले वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय गतिविधियों में काफ़ी वृद्धि हुई थी।

1968 भारत और इजरायल के संबंधों में सुधार की शुरुआत होती है जब भारत सरकार द्वारा रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की शुरुआत में प्रशिक्षण एवं साजो समान की जरूरत को इसराइल के खुफिया विभाग मोसाद द्वारा प्रदान की गई थी ।
जून 1971 इजराइल के संसद में वक्तव्य देते हुए इजराइल के विदेश मंत्री द्वारा पूर्वी बंगाल में पाकिस्तान की सेना द्वारा नरसंहार को रोके जाने की जरूरत पर जोर दिया । संसद में दिए गए बयान मैं इजरायल के विदेश मंत्री द्वारा पूर्वी पाकिस्तान को पूर्वी बंगाल कहकर संबोधित किया तथा पाकिस्तान सेना द्वारा की जा रही मार काट को नरसंहार शब्द से संबोधित किया था । भारत के अलावा उस समय पाकिस्तान सेना द्वारा नागरिकों की हत्या को नरसंहार कहने वाला एकमात्र देश था। इसराइल और पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों को देखते हुए भारत ने इसराइल से युद्ध में मदद मांगी । उस समय के फ्रांस में भारत के राजदूत श्री टी अन चटर्जी ने इसराइल से हथियार, तेल तथा पैसों की मदद की बातचीत शुरू की जिसको इंदिरा गांधी द्वारा मंजूरी दी गई। इसके उपरांत 4 अगस्त 1971 को इजरायल की महिला प्रधानमंत्री गोलडा मीर के अनुमोदन पर युद्ध सामग्री हवाई मार्ग से भारत पहुंचाई गई। उस युद्ध में विजय के कारण बांग्लादेश का जन्म हुआ । इसराइल दुनिया के उन पहले चुनिंदा देशों में से एक है जिसने बांग्लादेश को मान्यता दी, जबकि बांग्लादेश ने इसराइल को आज तक मान्यता नहीं दी है। इस युद्ध मैं मदद के फल स्वरुप भारत और इजरायल के संबंधों की नीम के रूप में देखा जा सकता है।

1997 में भारत और इजरायल के बीच मैं हुए समझौते के अंतर्गत 2002 तक “लाइटनिंग इलेक्ट्रो ऑप्टिकल पॉड” (लेजर डेजिग्नेटर एवं हाई रेजोल्यूशन कैमरा ) सप्लाई करने थे। लेकिन समय से पहले जरूरत पड़ने पर इजरायल ने अपनी विशेष इंजीनियर की टीम को भारत भेज कर भारतीय मिराज 2000 जेट मे पोड को लगाकर उनको इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया। यहीं पर बताना जरूरी है कि भारत के पास लेजर गाइडेड पॉड पर इस्तेमाल होने वाले बॉम्ब सिर्फ 60 ही थे।
1999 में पाकिस्तान द्वारा कारगिल क्षेत्र में भारतीय सीमाओं में धोखे एवं चुपचाप घुसकर 130 किलोमीटर के लाइन ऑफ कंट्रोल पर सैकड़ो की संख्या में चौकियां बनाकर कब्जा कर लिया था। एक तरफ जहां अमेरिका ने भारत को सेटेलाइट द्वारा जीपीएस सुविधा मुहैया कराने के लिए साफ-साफ इनकार ही नहीं किया बल्कि इसराइल पर भारत को किसी भी प्रकार की मदद नहीं करने का दबाव भी बनाया।  भारत के पास खुद की जीपीएस टेक्नोलॉजी नहीं होने के कारण दुश्मन के बारे में पुख्ता खबर नहीं मिल पा रही थी।  दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र तथा लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं करने के भारत सरकार के आदेश के मध्य नजर युद्ध में कठिन परिस्थिति बनी हुई थी । यही नहीं उसे समय भारत की सेना के पास पहाड़ियों की चोटियों पर पाकिस्तान सेना द्वारा बनाए गए बन्कर को बर्बाद करने के लिए कोई उचित प्रेसीजन गाइड गोला बारूद एवं हथियार नहीं होने होने के कारण गंभीर स्थिति बनी हुई थी तथा पाकिस्तान हमारे सैनिकों को आसानी से चोटियों पर बैठकर निशाना बना रहे थे। यह भी माना जाता है कि उसे समय रूस एवं चीन ने भी मदद करने से इनकार कर दिया था । अस गंभीर परिस्थिति और न्यूक्लियर टेस्ट की वजह से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के मध्य नजर इसराइल ने अमेरिकी एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद खुद आगे बढ़कर भारत की मदद करने के लिए पाकिस्तान की सेना की खुफिया जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ-साथ लेजर गाइडेड मिसाइल वेपन सिस्टम एवं सर्विलेंस ड्रोन मुहैया करवाए जिसके कारण भारतीय सेना को दुश्मन को हराने में बहुत बड़ी मदद मिली। इसराइल ने अमेरिका की दोस्ती को तक पर रखते हुए कारगिल युद्ध में भारत की हर संभव मदद की ।
देश के पांच वामपंथी दलों (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ) ने लोगों से फिलिस्तीन के साथ एकजुटता प्रकट करने का आह्वान करते हुए बुधवार को मांग की है कि केंद्र सरकार इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए विभिन्न भारतीय कंपनियों को दिए गए सभी निर्यात लाइसेंस और अनुमतियां रद्द करे। वहीं पर भारत सरकार गाजा में जंग शुरू होने के बाद से इजरायल को तोप के गोले, हल्के हथियार और ड्रोन की आपूर्ति की है।  इसके अलावा एक तथा कथित विद्वान व्यक्तियों का जमावड़ा भारत के रक्षा मंत्री से इजरायल के साथ हर प्रकार के सहयोग को खत्म करने की मांग की है ।
हमें यह याद रखना पड़ेगा की 1947 से लेकर आज तक देश के दुश्मनों द्वारा देश पर हमले के दौरान या न्यूक्लियर टेस्ट के कारण प्रतिबंधों के दौरान जरूरत पड़ने पर इजरायल ही एकमात्र ऐसा देश है जो अपने पारंपरिक मित्रों से नाराजगी के बावजूद भारत के साथ खड़ा रहा है । गत वर्ष अक्टूबर में हमास द्वारा बर्बरता पूर्वक उग्रवादी हमले के जवाब में इजरायल द्वारा सैन्य अभियान के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई में भारत सरकार को किसी भी प्रकार की सहायता करने में पीछे नहीं हटना चाहिए। भारत सरकार को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि कारगिल युद्ध के दौरान जब भारत पर न्यूक्लियर टेस्ट की वजह से प्रतिबंधों के बीच में अगर इसराइल ने अमेरिका जैसे उसके मित्र देशों के विरोध को दरकिनार करते हुए भारत को सैन्य सामग्री एवं हथियार उपलब्ध ही नहीं करवाए, उनके प्रशिक्षण हेतु विशेष दस्तों को भारत मैं तैनात करते हुए भारत का साथ दे सकता है तो आज समय है उस मदद का बदला चुकाने का।

कर्नल देव आनंद
रक्षा विशेषज्ञ