हाइब्रिड आतंकवाद का बढ़ता खतरा ….
कर्नल देव आनंद लोहामरोड़
रक्षा विशेषज्ञ जम्मू कश्मीर में नई सरकार बनने के बाद सक्रिय हुए आतंकवाद जिनके निशाने पर सेना एवं गैर कश्मीरी हिन्दू नागरिक दिखाई देते हैं। क्या यह कोई साजिश का हिस्सा है जिससे कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच में दरार पैदा की जा सके या अलगाववादी एवं डीप स्टेट की कोई भारत सरकार पर दबाव बनाने की साजिश है ? कुछ वर्ष पूर्व घाटी में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के दौरान ऐसे आतंकवादियों को मार गिराया था जो एक - दो दिन पहले ही आतंकवादी समूह का हिस्सा बने थे। कुछ मामलों में मारे गए आतंकवादी के परिवारजनो को यह भरोसा नहीं था कि उनके बच्चों ने आतंक का रास्ता अख़्तियार कर हथियार तक उठा लिया था। जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक़ " हाइब्रिड आतंकी" वैसे आतंकवादी हैं जो हिंसात्मक गतिविधियों में एक नागरिक के तौर पर शामिल होते हैं।


हाइब्रिड आतंकवादी का अर्थ: –
हाइब्रिड आतंकवादी ऐसे व्यक्ति होते हैं जो पूर्व में किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतिविधि में शामिल नहीं हुए होते हैं और ना ही उनका किसी प्रकार का सामाजिक तौर या पुलिस तथा सुरक्षा जांच एजेंसियों की रडार में किसी प्रकार का अपराधिक / आतंकवादी रिकॉर्ड नहीं होता है । सामान्य शक्ल-सूरत रखने वाले वह लोग जिनका गुप्त तरीके से नामांकित करते हुए भरती करने के उपरांत उचित प्रशिक्षण भी दिया जाता है एवं उनकी पहचान करना सुरक्षा बलों के लिए बहुत मुश्किल एवं चुनौती पूर्ण कार्य होता है। यह लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं या उनमें सहायता करते हैं। हाइब्रिड आतंकवादी आम लोगों के बीच अपनी सामान्य आम सामाजिक पहचान के साथ रहते हैं। उन्हें दिशा निर्देश मिलने पर आतंकवादी कार्रवाई को अंजाम देने के उपरांत फिर से सामान्य जीवन बिताने लग जाते हैं ।
ये वो कश्मीरी युवा होते हैं, जिनकी कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं होतीहै तथा वे ऑनलाइन माध्यम से रेजिस्टेंस ग्रुप से जुड़ते हैं,उनकी ट्रेनिंग होती है, टागरेट तय होता है एवम टागरेट की रेकी की जाती है । फिर तय समय पर वारदात को अंजाम देने के साथ आतंकी वापस घर लौट आता है तथा अपनी आतंकवादी होने की पहचान गुप्त रखते हुये अपने गांव-शहर जाकर आम जिंदगी में सरीक हो जाता हैं।
हाइब्रिड आतंकवादी का जन्म एवं विशेषताएं :-
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना ने घुसपैठ को जीरो प्रतिशत लेवल पर लाने में सफलता पाने के उपरांत विदेशी या विदेश में प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादियों का भारत की सीमाओं में घुसपैठ करना अब बेहद कठिन हो गया है । जम्मू-कश्मीर में पहचान वाले ज्यादातर विदेशी या स्थानीय आतंकवादियो का भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सफाया कर दिया गया और स्थानीय नागरिक आतंकवादी गतिविधियों से दूरी बनाने लग गए। दूसरी और पाकिस्तान पर फाइनेंशियल एक्शन टास्ट फोर्स (एफ ए टी एफ) की तलवार लटकी होने की वजह से पाकिस्तान प्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद समर्थक टैग से हर हाल में बचाना चाहता है। इसी वजह से एक नये विकल्प के रूप में पाकिस्तान द्वारा हाइब्रिड आतंकवादि तैयार करवाने का काम शुरू किया गया है । पाकिस्तान भारतीय युवाओं से ऑनलाइन संपर्क करता है और उनका ब्रेनवॉश करने के उपरांत उनको ऑनलाइन भर्ती किया जाता है। इन्हें ऑनलाइन ही ट्रेनिंग दी जाती है। जरूरत पड़ने पर इन्हें हमला करने के लिए भेजा जाता है। हाइब्रिड आतंकी 1-2 की संख्या में हमले को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान ऐसे लोगों को चिह्नित करता है, जो अपराधिक एवं राष्ट्र विरोधी मानसिकता से प्रेरित हो तथा राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हैं ।
महिला हाइब्रिड आतंकी :
वैसे तो पूर्व में भी कुछ महिला ओवर ग्राउंड कार्यकर्ता (ओजीडब्ल्यू) आतंकवादियों के साथी के तौर पर पाई जाती रही है लेकिन अब जब घाटी में आतंकवाद समाप्ती की ओर दस्तक दे चुका है ऐसे समय में यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती साबित हो सकती है। वैसे अभी तक महिला ओजीडब्ल्यू की संख्या काफी कम है, लेकिन यह एक नया ट्रेंड हह और भविष्य में इस पर ध्यान देना पड़ेगा। दो नवंबर 2024 को अनंतनाग में दो मजदूरों पर हमले के लिए हाइब्रिड आतंकी को एक महिला ओजीडब्ल्यू द्वारा हथियार पहुंचाया था।आतंकी महिला ओजीडब्ल्यू पर सुरक्षाबलों को शक कम होता है विशेष कर कश्मीर की परिस्थिति और पोशाक के चलते ये आसानी से छोटे हथियार छिपाकर पहुंचा देती हैं। इनको ट्रैक करना मुश्किल होता है। ऐसे में इंटेलीजेंस की जिम्मेवारी एवं भूमिका काफी बढ़ जाती है। इंटेलीजेंसी का ताना-बाना सटीक होना चाहिए।
हाइब्रिड आतंकवादी के काम करने का तरीका:-
हाइब्रिड आतंकवादी के काम करने का तरीका सामान्य आतंकवादी के पुराने ढंग से अलग होता है। पूर्व में लाइन ऑफ कंट्रोल के उस पार से आतंकी आते थे और हमलों को अंजाम देते थे। वे आमतौर पर गुरिल्ला रणनीति से चुपचाप अटैक करते और घाटी के घने जंगलों में गुम हो जाते यह अपने स्थानीय मददगारों के इर्द-गिर्द पनाह ले लेते थे। कई बार वे स्थानीय लोगों की मदद से जम्मू-कश्मीर के भीतर ही छिपे रहते और नेटवर्क बढ़ाते थे। पहले किसी भी आतंकी घटना मे 3-4 आतंकी शामिल होते थे। एके- 47 जैसे बड़े और आधुनिक हथियारों / आईडी का इस्तेमाल करते थे,लेकिन हाइब्रिड आतंकवादियों को पिस्टल, ग्रेनेड ,आईडी , कट्टा आदि दिए जाते हैं । इससे ये सेना और पुलिस की नजर में सीधे तौर पर नहीं आते हैं। घटना को अंजाम देने के बाद इनकी घर वापसी हो जाती है। इन्हें टीआरएफ या ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ का नाम दिया गया है। टीआरएफ लश्कर से संबद्धधित एक संगठन है।
ड्रग माफिया एवं हाइब्रिड आतंकवादी …
भारत-पाकिस्तान लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर घुसपैठ करना बहुत ही मुश्किल हो चुका है जिसके कारण ड्रग्स एवं आतंकवादी दोनों का ही भारत की सीमा को पार करना बहुत कठिन हो गया है। देखने में आया है कि कई बार पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित ड्रग एवं हथियार सप्लाई के लिए ड्रोन तथा अंडरग्राउंड टनल का इस्तेमाल किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं । पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित ड्रग आतंकवाद मैं हाइब्रिड आतंकवादियों की भूमिका भी बड़े रूप में हो सकती है जिनको अब ड्रोन तथा भूमिगत टनलिंग के माध्यम से हथियार तथा ड्रग की खेप पहुंचाई जाने की खबरें भी सामने आती रही है । हाइब्रिड आतंकवादी और ड्रग माफिया का आपस में गठ जोङ से इनकार नहीं किया जा सकता। दोनों के एक होने की भी प्रबल संभावना पर जांच एवं सुरक्षा बाल की पहली नजर जरूर होगी । एक खबर के मुताबिक कुपवाड़ा के साधन पास पर पूर्व में बड़ी मादक पदार्थों की खेप पकड़ी जाना इस विचार की पुष्टि करती है ।
देश के दुश्मनों द्वारा आतंकवाद को पुनर्जीवित्य करने के प्रयास को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा उचित जवाब दिया जा रहा है। लेकिन जहां अंतरराष्ट्रीय पटल पर बड़ी उथल-पुथल देखी जा सकती है ,अलगाववादी / राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा देश के खिलाफ षड्यंत्र की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता और देश के हर नागरिक को सावधान रहते हुए हमारी सुरक्षा एजेंसी एवं सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े रहना एक समझदारी का काम होगा।
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