Chief Editor

Dharmendra Singh

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June 2025
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June 17, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

आष्टा/किरण रांका
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का उपवास कर महिलाएं पीपल वृक्ष की पूजा करती है। मुख्य तौर पर यह उपवास सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और घर की दिशा और दशा में सकारात्मक परिवर्तन होता है। इसी के चलते नपाध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर रायसिंह मेवाड़ा द्वारा घर सहित संपूर्ण नगर की सुख-समृद्धि की कामना लिए दशा माता का उपवास रख पीपल के वृक्ष की पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। प्रातः से ही ऋषभ विहार काॅलोनी स्थित पार्क में लगे पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना करने का सिलसिला जारी हुआ जो दोपहर पश्चात तक अनवरत रूप से चलता रहा। बड़ी संख्या में आसपास की महिलाएं एकत्रित होकर पीपल के वृक्ष की पूजा की और दशा माता की कथा का श्रवण भी किया। माना जाता है कि दशा माता व्रत करने से घर की दरिद्रता खत्म होती है और अनिष्ट कारक ग्रहों की दशा शांत होती है। इस दिन कच्चे सूत के धागे का काफी महत्व है, जिसे दशा माता का डोरा कहा जाता है। दशा माता व्रत के दिन कच्चे सूत के 10 तार के डोरे में 10 गांठ लगाई जाती हैं। इसके बाद पीपल के वृक्ष पर इसकी पूजा की जाती है। इस डोरे की पूजा करने के बाद महिलाएं इसे पूरे साल पहनती हैं।