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Dharmendra Singh

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October 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

 

 

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हलमा परंपरा के जरिए जनआंदोलन की प्रेरक मिसाल

झाबुआ से_अमित सिंह जादौन _झाबुआ के ग्राम लिमखोदरा स्थित पवित्र बाबा देव विशिया डूंगर पर आज शिवगंगा संस्था और आसपास के ग्रामीणों के सहयोग से व्यापक वृक्षारोपण अभियान संपन्न हुआ। ‘हलमा’ की परंपरा पर आधारित इस आयोजन में लिमखोदरा, धांधलपूरा, सालारपाड़ा, पारा और खरड़ू गाँवों से लगभग 70 कार्यकर्ता जुटे और मिलकर 700 पौधों का रोपण कर उनके संरक्षण का संकल्प लिया। इस सामूहिक अभियान में कालिया मावी, उकार डामोर, राजेन्द्र डिंडोड़, संजय कटारा, दिनेश चौहान और अर्जुन डामोर सहित अनेक युवाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम में विशेष रूप से वरिष्ठ समाजसेवी श्री राजाराम कटारा और श्री हरिभाई सिंगाड़ की उपस्थिति ने आयोजन को प्रेरणादायी उत्सव का स्वरूप दिया।

 

 

*प्रकृति से भावनात्मक जुड़ाव*

इस अवसर पर संजय कटारा और भावेश वास्केल ने अपना जन्मदिन वृक्षारोपण के साथ मनाया, जिससे पर्यावरण संरक्षण और व्यक्तिगत जीवन प्रसंगों के बीच एक सुंदर भावनात्मक सेतु स्थापित हुआ।

*हलमा परंपरा : जनभागीदारी से बनता हरा भरा झाबुआ*

स्थानीय मान्यता के अनुसार बाबा देव जिस जंगल में वास करते हैं, उसके उजड़ जाने से वे “दुखी” हैं। इसी विश्वास और पर्यावरणीय चेतना के समन्वय से वर्ष 2017 से इस पहाड़ी क्षेत्र में वृक्षारोपण और जलसंरक्षण की परंपरा निरंतर चल रही है।

पिछले वर्षों की कुछ प्रमुख उपलब्धियां

– 2021: लिमखोदरा में हलमा के माध्यम से 1,700 पौधे रोपे गए।

– 2022: रामा-पारा विकासखंड के 89 गाँवों से 5,000 लोगों ने सामूहिक हलमा कर 10,000 कंटूर ट्रेंच का निर्माण किया — “धरती माँ की प्यास बुझाने” का कार्य किया।

– 2023: 2,000 पौधे लगाए गए तथा 3 क्विंटल सीड बॉल बिखेरी गयीं थी।

यह परंपरा अब एक प्रेरणादायी जनआंदोलन में बदल चुकी है, जिसमें आस-पास के गाँवों के युवा आगे आकर नेतृत्व कर रहे हैं।

*नई चेतना, नई पहल: पर्व-उत्सव अब प्रकृति के नाम*

अब पारा नगर और खरड़ू क्षेत्र के युवा अपने जन्मदिन, सालगिरह और अन्य शुभ अवसरों पर बाबा विशिया डूंगर पहुंचकर पौधरोपण कर रहे हैं। वे पौधों की देखरेख का भी जिम्मा लेकर, धरती माँ के पुनर्जीवन के वाहक बन रहे हैं।

यह पहल केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक आंदोलन बन चुकी है — जो आने वाली पीढ़ियों को हरित भविष्य और जिम्मेदार नागरिकता की सीख सौंप रही है।