*त्रिशला नंदन वीर की -जय बोलो महावीर की।*
झाबुआ से _अमित सिंह जादौन _महापर्व प्रर्युषण मनाने के तारतम्य में पांचवें दिन स्थानीय श्री रिषभदेव बावन जीनालय के पौषध भवन में कल्पसूत्र जी का वाचन परम पूज्य साध्वी भगवत रत्न रेखा श्री जी, अनुभवदृष्टा श्रीजी, कल्पदर्शिता श्री जी के पावन सान्निध्य में जारी है। रविवार को महावीर प्रभु का जन्म वाचन समारोह स्थानीय मूर्ति पूजक संघ के श्रावक–श्राविकाओं ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर मनाया। केसरिया रंग के छापे लगाए गए। 14 सप्नों की बोली लेने वाले लाभार्थियों ने स्वप्नों को अपने सिर के ऊपर धारण किया।
परम पूज्य साध्वी भगवत अनुभव दृष्टा श्री जी ने मस्तक पर तिलक लगाने के महत्व को समझाते पाटन के राजा अजय पाल द्वारा अपने राज्य के मंत्रीश्वर को केसर तिलक लगाकर नहीं आने हेतु आदेश जारी किया गया। इस पर समाज के सभी श्रावकों की एक बैठक विचार विमर्श हेतु आयोजित की गई। निर्णय लिया गया कि राजा के इस आदेश की अवज्ञा की जाएगी। दंड स्वरूप उबलते तेल के कढाव में कूदना तथा 21 जोड़ो ने उबलते हुए तेल में अपनी आहुति दे दी। मंत्रीश्वर की बारी आई तो राजा स्वयं ने आगे आकर रोक बोले तुम्हारी विजय हुई। सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नहीं यह कहावत चरितार्थ हुई। जैन आगमों में तिलक लगाने का अर्थ वीतराग प्रभु की आज्ञा को शिरोधार्य करना प्रतिपादित किया गया है।
दोपहर में सामूहिक स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। परम पूज्य साध्वी भगवंत श्री कल्पदर्शिता जी ने नमस्कार महामंत्र को सुमधुर स्वर के साथ गाकर श्रवण करवाया। उपस्थित समाज जन मंत्र मुक्त हो उठे। प्रभु की आगी रचना कब से कैसे प्रारंभ हुई इस तथ्य पर साध्वी भगवत ने बताया कि मंदिरों में पूर्व काल में श्रावक श्राविकाओं की संख्या प्रभु दर्शन के लिए शने– शने कम होने लगी थी, तो आचार्य भगवंत ने प्रभुजी की अंग रचना करने का सुझाव प्रदान दिया। फल स्वरुप यह प्रथा आज तक निरंतर रूप से जारी है जिससे श्रावकों में धर्म भावना में अभिवृद्धि हुई। रविवार को 8 उपवास के दस से अधिक तपस्वियों ने एवं 200 से अधिक आयंबिल एकाशना के तपस्वियों ने पूज्य साध्वीजी से प्रत्याख्यान लिए व्याख्यान का संकलन अशोक जैन द्वारा किया गया। मीडिया प्रभारी रिंकू रुनवाल द्वारा जानकारी दी गई।
*जन्म वाचन के पश्चात भव्य रथ यात्रा निकाली गई*
कल्पसूत्र जी को लेकर संजय काठी परिवार उपस्थित थे काठी परिवार द्वारा पूज्य साध्वीजी भगवन्त को जन्म वाचन की विनती की गई उसके पश्चात पुज्य साध्वी जी भगवन्त द्वारा भगवान महावीर स्वामी जी का जन्म वाचन विजय मुहूर्त 12.39 पर किया गया। जैसे ही जन्म वाचन हुआ वैसे ही लाभार्थी निर्मल मेहता परिवार द्वारा थाली डंका बजाकर जन्मोत्सव की सूचना दी गई साथ ही पालना जी लाभार्थी परिवार द्वारा झुलाया गया प्रमोद भंडारी परिवार द्वारा 14 स्वप्ना जी को बधाकर लाभार्थी परिवार को प्रदान किए गए ,अनिल रुनवाल द्वारा केसरिया छापे लगाने का लाभ लिया गया भव्य रथ यात्रा प्रारंभ हुई जन्मोत्सव के अंतर्गत श्री ऋषभदेव भवन जिनालय से भगवान महावीर स्वामी जी की भव्य रथयात्रा प्रारंभ हुई जिसमें भगवान को रथ में लेकर श्रीमती मांगुबेन शांतिलाल जी सकलेचा बैठी थी भगवान के सारथी के रूप में तपस्वी निशान शाह बैठे थे रथ यात्रा में सबसे पहले श्रावक वर्ग चल रहे थे। उसके पश्चात भगवान का रथ और उसके पश्चात साध्वी जी भगवान एवं साथ में 14 सपना जी सिर पर रखकर श्राविका चल रही थी। युवाओं द्वारा भगवान महावीर स्वामी के जय जयकार लगाए जा रहे थे जगह जगह समाजजनों ने अक्षत श्रीफल से भगवान के सम्मुख गहुली की गई। रथयात्रा रूनवाल बाजार थांदला गेट मेन मार्केट राजवाड़ा होते हुए पुनः 52 जीनालय पहुंची ।
*आरती उतारी गयी*
रथयात्रा जीनालय पहूची जहां पर मूलनायक भगवान की आरती श्रीमती आनंदीदेवी लक्ष्मीचंद जी नेताजी परिवार द्वारा उतारी गई वहीं श्री केसरियानाथ भगवान की आरती का लाभ राजेन्द्र रुनवाल परिवार द्वारा लिया गया ,मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की आरती अशोक राठौर परिवार द्वारा उतारी गई ।महावीर स्वामी जी की *महाआरती* का लाभ श्रीमती मांगूबेन शांतिलाल जी सकलेचा परिवार द्वारा लिया गया मनोज वागमलजी कोठारी परिवार द्वारा मंगल दीवा गुरुदेव की आरती एवं मणिभद्र जी की आरती का लाभ लिया गया वहीं नमस्कार महामंत्र की आरती का लाभ उल्लास उमंग जैन परिवार द्वारा लिया गया गौतम स्वामी जी की आरती सूर्यप्रकाश कोठारी परिवार द्वारा उतारी गई।
*पंजेरी की प्रभावना वितरित की गई*
आरती के पश्चात पंजेरी की प्रभावना श्रीमती श्यामूबाई रतनलाल जी मुकेश जी रूनवाल परिवार द्वारा वितरित की गई ।
*सोने एवं चांदी की वर्क से प्रभुजी की अंग रचना की गई*
भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक वाचन के अवसर पर श्री जिनालय के मूल नायक आदि नाथ जी भगवान केसरियानाथ जी , भगवान महावीर स्वामी जी भगवान की स्वर्ण एवं चाँदी के वर्क से सुंदर अंगरचना कर सजावट की गई। साथ ही युवाओं द्वारा पूरे जिनालय को दीपक से सजाया गया शाम को प्रतिक्रमण के पश्चात प्रभु जी की भक्ति की गई।
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