अभिषेक शर्मा रिपोर्टर

नगर मेंं प्राचीन रियासत काल स्टेट टाइम की पुरानी होली माता की महिलाओं ने की पूजा अर्चना, घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए,मांगी मंगलकामनाएं इस दौरान प्रथम बार होली उत्सव समिति मेवाड़े भोई मोहल्ला द्वारा प्रथम बार छप्पन भोग का आयोजन रखा गया। नगर में गुरुवार रात्रि को होली पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया।
इस दौरान होली दहन से पूर्व ही हजारों महिलाओं ने 400 साल से एक ही स्थान पर रियासत काल स्टेट टाइम के समय से चली आ रही परंपराओं का निर्वाह करते हुए होली माता की पूजा अर्चना की गई। और महिला ने अपने घर परिवार की खुशहाली की मंगल कामना की गई, आपको बता दें कि नगर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर होली पूजन होती है परंतु खास बात यह है कि मेवाड़े भोई मोहल्ले पर यहां नगर की सबसे बड़ी होली मानी जाती है । जो नगर के मेवाडे मोहल्ला स्थित है जहां पर आज भी हजारों की संख्या मे महिलाएं पूजन करने को आती है,,,
● विशेष बात यह है कि ●
आज भी स्टेट टाइम से लेकर आज वर्तमान तक होली की प्रथम पूजा करने को राजघराने से राजपुरोहित द्वारा की जाती है। जिसके बाद सभी नगर की महिला द्वारा होली माता की पूजन किया जाता है। वहीं दहन का कार्य एवं सामग्री राजघराने से राजपुरोहित द्वारा किया जाता है। वही होली माता को महिलाओं द्वारा घर में बने तरह तरह के मिठाई पकवान आदि बनाकर होली माता को भोग लगाकर पूजन किया जाता है। होली माता को गोबर से बनी माला चढ़ाई जाती है। वही रात शुभ मुहूर्त में होली दहन का कार्य किया जाता है।
●प्रथम बार रखा गया 56 भोग का आयोजन,●
होली उत्सव समिति मेवाड़े भोई मोहल्ला द्वारा प्रथम बार छप्पन भोग का आयोजन, होली उत्सव समिति से जुड़े लोगों मैं सोनू मेवाड़ा, गोलू मालाकार, रवि साहू, लाला, आकाश मेवाड़ा, राहुल मेवाड़ा ,अर्जुन मेवाड़ा सुमित मेवाड़ा, रोशन मालाकार, आनंद मालाकार आदि ने बताया कि पुरानी कथाओं के अनुसार।
हिरण्यकश्यप नामक असुर जाति के राजा थे जिनका पुत्र भक्त प्रहलाद थे जो कि श्री हरि के परम भक्त थे।
जिनकी भक्ति से हिरण कश्यप नाखुश थे, भक्त पहलाद को तरह तरह योजना बनाकर मारने की कोशिश की गई परंतु नाकाम रहे । वहीं हिरण कश्यप की बहन होली का नामक थी जिसे ब्रह्मा जी से अग्नि जला नहीं सकती ऐसा वरदान प्राप्त था। भक्त पहलाद को होलिका आग में लेकर बैठ गई। श्री हरि भक्त प्रहलाद श्री हरि का जाप करने लगे वही होलिका जल गई और भक्त पहलाद बज गए तभी से लेकर यहां होली मनाई जाती है। जिसकी प्रेरणा से हमने यहां आज ठाकुर जी को छप्पन भोग का आयोजन रखा गया है।
● प्रातः काल महिलाओं ने की शीतला माता की पूजा ●
वही इसके दुसरे दिन अल सुबह सुबह मंगलवार को महिलाओं ने होली पूजन के बाद ।होलिका दहन के पशचात अल सुबह होते-होते। महिलाओं ने शीतला माता मदिंर पहुंच कर माता की पूजा अर्चना की जाती है ओर माता रानी को जल अर्पित कर ओर अपनी अपने परिवार की सुख शांति और समृद्धि की कामना करती है!!
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