

कांग्रेस सेवादल जिलाध्यक्ष सुरेश कपाले ने बताया कि आज स्थानीय स्टेडियम ग्राउंड शहीद स्मारक पर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित कर महान विभूतितो को याद किया गया। आगे श्री कपाले ने बताया कि 23 जुलाई का मतलब महज अंग्रेजी कलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि यह दो महान स्वतंत्रता सेनानियों का जन्मदिन होता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे पहले लोकप्रिय नेता कहे जाने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और अपने नाम भर से ही अंग्रेजों की बेचैनी बढ़ाते रहे अमर शहीद चंद्रशेखर ‘आजाद’ की जीवनी भारतीय जनमानस में हर स्वंत्रता दिवस की वर्षगांठ या उनके जन्मदिन पर पढ़ी जाती है, जन सभाएं होती हैं, कार्यक्रम होते हैं लेकिन देश की इन दो महान विभूतियों की कही बातें अगर आज की पीढ़ी 1 फीसदी भी जीवन में उतार पाए तो न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि, देश और दुनिया का भला होगा क्योंकि किसी भी देश की सफलता उसमें रह रहे सफल व्यक्तित्वों में निहित होती है। महाराष्ट्र के रत्नीगिरी के चिखाली गांव में 23 जुलाई 1856 को जन्मे बाल गंगाधर तिलक का नारा “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”, देशवासियों की धमनियों में लहू बनकर ऐसा दौड़ा कि उसका नतीजा आजाद भारत के तौर पर सामने आया, वहीं मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाके भाबरा में जन्मे चंद्रशेखर को आजादी के संघर्ष के दौरान महज 15 वर्ष की उम्र में जज के सामने पेश होना पड़ा तो उनके बयान ने उन्हें नया नाम दिया- ”मेरा नाम आजाद, मेरे पिता का नाम स्वाधीन, और मेरा घर जेल है।
कांग्रेस सेवादल द्वारा आज इन दो महान वीर सपूतो की जयंती पर इनकी वीरता का बखान कर अमरता के नारे लगाए गए और श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर सुरेश कपाले, राकेश मरकाम, शबाना यास्मीन खान, विजेंद्र भार्गव, सतीश डेहरिया, प्रमोद यादव, अर्जुन मरकाम, ईश्वरदीप सिंह मरावी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित हुए।
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