विशाल भौरासे रिपोर्टर

विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय में हेपेटाइटिस जांच शिविर का आयोजन अस्पताल परिसर के द्वितीय तल पर किया गया। नोडल अधिकारी हेपेटाइटिस डॉ. रोहित पराते ने बताया कि इस शिविर में 80 गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस जांच की गई।
सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा एवं आरएमओ डॉ. रानू वर्मा के निर्देशन में संचालित इस शिविर में गर्भवती महिलाओं की जांच कर उपस्थित जन को हेपेटाइटिस संबंधी जानकारी भी प्रदाय की गई। इस अवसर पर बताया गया कि हेपेटाइटिस एक गंभीर एवं जानलेवा बीमारी है, जिसमें लिवर में सूजन आ जाती है। इस वायरस के पांच स्टेज होते हैं, जिन्हें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, एवं ई नाम से पहचाना जाता है। हेपेटाइटिस बीमारी के लक्षणों में थकान महसूस होना, भूख कम लगना या ना लगना, पेट दर्द और सूजन होना, पेशाब का रंग बदलना, चेहरे और आंखों में पीलापन, उल्टी आना या जी मिचलाना, सिर दर्द व चक्कर आना तथा पीलिया होना एवं कई दिनों तक बुखार रहना सम्मिलित हैं। हेपेटाइटिस बीमारी खून और संक्रमित इंजेक्शन से, खाने और दूषित पानी के सेवन से, दवाइयों के साइड इफेक्ट से, असुरक्षित यौन संबंध तथा अन्य फ्लूइड के एक्सपोजर से फैलती है। हेपेटाइटिस बीमारी से बचाव के उपायों में जन्म के समय शिशुओं का टीकाकरण, स्टरलाइज निडल का इस्तेमाल, सुरक्षित शारीरिक संबंध, साफ सफाई का विशेष ध्यान, दूषित पानी पीने से बचना तथा पौष्टिक आहार लेना एवं बचपन में न लगने पर बड़े होने पर टीका लगवाना सम्मिलित है।
डॉ. रोहित ने बताया कि जिले के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में हेपेटाइटिस जांच शिविरों का आयोजन किया गया। जिसमें कुल 350 महिलाओं की जांच की गई।
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