*1 साल में करता था 25 करोड़ रुपये की ठगी, पुलिस भी हैरान*।

पटना:बिहार में अपराध जगत से विभिन्न प्रकार की वारदात की खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ठग के ठगी की वारदात बताने जा रहे हैं, जिसके खाते में हर महीने 2 करोड़ रुपये आते थे। पुलिस ने जब आरोपी ठग को गिरफ़्तार किया तो उसके खुलासे चौंकाने वाले थे। वह युवक जेई मेन्स क्लियर कर चुका था, रोज़गार नहीं मिलने पर ठग गिरोह में शामिल हो गया और लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने लगा। पुलिस की गिरफ्त में युवक ने कई खुलासे किए जिसे सुनकर पुलिस वाले भी हैरान रह गए।
इंजीनियर बनने के सपना लिए ठग बने युवक की कहानी किसी फिल्म के स्क्रिप्ट से कम नहीं है। पुलिस ने जब युवक के घर छापेमारी की तो उसके पास से 33 लाख रुपये, हीरे की चेन और 3 अंगूठियां भी बरामद बरामद हुए। हाल ही में आरोपी युवक ने तेलंगाना के एक शख्स को कार एजेंसी दिलवाने के नाम पर 29 लाख रुपये की ठगी की थी। इस तरह से वह पटना में रहकर साइबर ठगों के गैंग को संचालित करता था। इसके साथ ही देश के विभिन्न राज्यों के लोगों को चूना लगा रहा था। गौरतलब है कि इसके गैंग में लड़कियां भी शामिल हैं। पुलिस ने आरोपी युवक की डायरी खंगाली तो कई और खुलासे हुए। बताया जा रहा है कि युवक एक साल में 25 करोड़ रुपये की ठगी कर लेता था।
रविवार को तेलंगाना पुलिस की मदद से पटना पुलिस ने साइबर ठगों गिरोह का खुलासा किया था। जिसके बाद जांच में ठगी के वारदात के तार खुलते ही जा रहे हैं। पुलिस की जांच में पता चला की ठग गिरोह ठगी से कमाये रुपये से जमीन ख़रीदते थे। इन ठगों को गिरोह बिहार के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेंत देश के विभिन्न राज्यों के कारोबारियों को अपना शिकार बना चुका है। कहते हैं ना पाप का घड़ा भर गया है, कुछ ऐसा ही हुआ ठग आकाश के साथ। उसे कार डीलरशिप दिलाने के नाम पर ठगी करना मंहग पड़ गया। साइबराबाद (तेलंगाना) के रहने वाले चिलुका विजय कुमार को आकाश (ठग) ने शिकार बनाया और उससे 29 लाख रुपये की साइबर ठगी कर ली। यहीं से आरोपी युवक आकाश के काले कारनामे की उल्टी गिनती शुरू हो गई।
पीड़ित चिलुका विजय कुमार ने अपने साथ हुई साइबर ठगी की शिकायत तेलंगाना पुलिस को दी। शिकायत दर्ज करने के बाद तेलंगाना पुलिस ने ठग आकाश के नंबर का पता लगाया और फिर नंबर की डिटेल्स को ट्रेस करते हुए पटना पहुंच गई। पटना पहुंचने के बाद स्थानीय पुलिस की मदद से हनुमान नगर में क़रीब 2 घंटे छापेमारी कर आरोपी युवक को गिरफ़्तार कर लिया। एक साल से ठग आकाश हनुमान नगर में मकान किराए लेकर रह रहा था। वह बिहार के नालंदा जिले का निवासी है, गंगापुर गांव (कतरीसराय थाना क्षेत्र) में पुस्तैनी घर है।
आरोपी युवक के वारदात का इतिहास लंबा रहा है इस्से पहले वह ओडि़सा, पुणे और गुजरात में कांड कर चुका है। इन राज्यों की पुलिस भी साइबर ठगी मामले में उसे कई बार गिरफ्तार कर चुकी है। पिछले चार सालों से आरोपी युवक ठगी कर रहा है, ठगी के आरोप में कुछ महीने जेल में रहता है और फिर ज़मानत पर बाहर निकल जाता था। ठग आकाश के फ्लैट की छानबीन करने पर पुलिस के हाथ एक डायरी लगी, जिसमें उसका सारा हिसाब लिखा था कि कहां कितना रक़म खर्च किया है। एक सप्ताह के हिसाब में उसने 2 लाख 35 हज़ार रुपये खर्च किए। जिसमें लैपटाप, फ्लैट का किराया, मोबाइल और सिम कार्ड खरीदना शामिल है। इतना ही नहीं आकाश की डायरी में लड़कियों के भी नाम सामने आए हैं। उसने 40 हज़ार रुपये लड़कियों को दिए थे डायरी में उसका हिसाब भी लिखा है।
आरोपी आकाश साइबर ठगी का पूरा एक गैंग संचालित कर रहा था, उसकी डायरी में 10 लोगों के नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही यह भी लिखा गया है कि किस सदस्य को कितना कमिशन दिया गया। इन सबके नाम के आगे 20 फिसद तक कमीशन का डिटेल्स लिखा हुआ है। क़रीब 36 लाख रुपये ठग आकाश ने अपने गिरोह के सदस्यों को कमीशन के चौर पर दिया है। वहीं आकाश ने इस दौरान 18 लाख रुपये ठगी से कमाये थे वह भी लिखा हुआ है। इससे पहले ठग आकाश 1 करोड़ 15 लाख की ठगी गुजरात के एक कारोबारी से कर चुका है। इस मामले में गिरफ्तार हुआ था लेकिन ज़मानत पर बाहर आ गया था।
पुलिस की मानें तो ठग आकाश फ़र्ज़ी वेबसाइट बनाने से लेकर खाते से रुपये निकासी तक के वारदात को अंजाम देता था। पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेना चाहता था लेकिन दाखिला नहीं हो पाया। फिर वह विभिन्न वेबसाइट के ज़रिए नौकरी की तलाश कर रहा था। इसी क्रम में साइबर ठग गिरोह से संपर्क हुआ। यह गिरोह डीलरशिप, एजेंसी और फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ठगी करते है। रजिस्ट्रेशन, एनओसी और लाइसेंस दिलाने का झांसा देकर बड़े व्यवसायियों को चूना लगाते थे। तेज़ दिमाग़ होने की वजह से आकाश को बिहार का सरगना बना दिया। इसके साथ ही आकाश के खाते में हर महीने 2 करोड़ रुपये जमा होने का भी दावा किया गया।
आरोपी आकाश ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह इंजीनियर बनने का सपना बचपन से ही देख रहा था। कड़ी मेहनत कर जेई मेंस क्वालीफाई किया लेकिन अच्छा रैंक हासिल नहीं हो सका। अच्छा रैंक हासिल नहीं होने की वजह से सरकारी कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, पिता किसान होने की वजह से निजी कॉलेज की फीस का इंतज़ाम नहीं कर सके और उसका सपना अधूरा रह गया। नौकरी नहीं मिल रही थी तो वह साइबर गैंग में शामिल होकर ठगी करने लगा।
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