विशाल भौरसे रिपोर्टर

मुझसे ली गई राशि लौटाने से बचने हेतु यह व्यक्ति राजनैतिक दबाव में षड्यंत्र कर रहा है। इसने मुझसे दो लाख रूपये लेकर चैक दिया था जो की बाउंस हो गया है। चैक बाउंस के केस से बचने के लिए यह मेरे ऊपर झूठी रिपोर्ट कर दबाव बना रहा है। यह प्रापर्टी ब्रोकर है, मेरे पास प्रापर्टी के प्रस्ताव लेकर आता रहता था। शिकायतकर्ता की बेटी जब पांच वर्ष पूर्व 2017 में कराटे खेलने गई थी तब भी यह मुझसे संपर्कों के आधार पर पच्चीस हजार रुपए उधार लेकर गया था जो इसने मुझे लौटा दिए थे। वर्तमान में इस व्यक्ति की तरफ जो राशि बाकी है वह मुझसे अप्रैल 2022 में किसी अन्य कार्य हेतु चैक देकर ले गया था। जब मुझसे यह राशि लेकर गया उससे तीन चार वर्ष पूर्व इस व्यक्ति की बेटी की शादी हो चुकी थी व उसने कराटे खेलना छोड़ दिया था। अतः, मुझसे ली गई राशि का इनकी बेटी के खेल से कोई संबंध होने का प्रश्न ही नहीं है। इस fir के पीछे पिछले दिनों गर्गकालोनी, बैतूल में हुई सांप्रदायिक घटना एक मात्र कारण है। 8-10 हिंदू कार्यकर्ताओं पर एक समाज के 70-80 लोगों द्वारा हथियार बंद हमले की घटना में हिंदू कार्यकर्ताओं का सपोर्ट करने व उनका मुखर नेतृत्व करने का दंड मुझे इस रूप में भुगतना पड़ रहा है। कुछ लोगों को इस में मेरी सक्रियता नागवार गुजरी। मेरी राजनैतिक, सामाजिक, सक्रियता को बंद कराना इस fir का लक्ष्य है। सेकुलरिज्म व तुष्टिकरण के विरुद्ध मेरे अभियान को बंद कराने हेतु यह षड्यंत्र कराया जा रहा है।
शिकायतकर्ता ने तगादे करने पर भी राशि नहीं लौटाई और उलटा प्रेस में इसने अनर्गल आरोप लगाए। सबसे बड़ी बात की इस व्यक्ति ने पहले पुलिस को जो तीन आवेदन दिए हैं और एक आडियो भी जारी किया है उसमे कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी है जो की एफआईआर में लिखी गई है। आवेदन, आडियो और fir के बयान में इतने अंतर आने पर तो कम से कम जांच करके ही fir दर्ज की जानी चाहिए थी। जाहिर है कि इस प्रकार दबाव में लिखी गई fir मेरी राजनैतिक हत्या की साजिश है।
31अगस्त को मैं स्वयं बिना बुलाए एसपी महोदय के पास मेरे लिखित बयान लेकर गया था। एसपी साहब ने कहा की पहले उसके बयान लेते हैं फिर आपके लेंगे। फिर मेरे एसपी ऑफिस से लौटने के तुरंत बाद अचानक ही मेरे विरुद्ध fir कर ली गई।
मैं कभी शिकायतकर्ता के घर नही गया। यह जांच होनी चाहिए थी, कि जिस तारीख को मुझपर आरोपी के घर जाकर धमकी का आरोप लगाया गया है उस तारीख को मैं कहां था और आरोप लगाने वाला भी बैतूल में था या नहीं? शिकायतकर्ता ने जो पुलिस को जो कॉल रिकार्डिंग दी है वह 2 अगस्त, 22, दोपहर एक बजे की है। इस कॉल रिकार्डिंग में वह कह रहा है की वह नागपुर में है और दूसरी तरफ fir में लिखा रहा है की दो अगस्त को दोपहर दो बजे मैं उसके घर गया और मैने उसे मारा।
आरोप लगाने वाले के घर के सभी रास्तों पर कहीं न कहीं पुलिस के कैमरे लगे हैं। पुलिस इन कैमरों में मेरे मूवमेंट को चैक करे की मैं उसके घर गया था क्या? मुझ पर शिकायतकर्ता के घर जाने के आरोप लगाए जाने वाले दिन के चौक चौराहों के कैमरे के फुटेज पुलिस रिकार्ड में सुरक्षित रखे जाएं। पुलिस का मन न भरे तो सीबीआई आदि से भी जांच करा ली जाए। मुझपर हिंदुत्व के मामलों को लेकर पूर्व में 13 पुलिस केस दर्ज कराए गए हैं। मैने किसी में समझौता नहीं किया सभी मामलों में संघर्ष करके बेदाग निर्दोष सिद्ध हुआ हूं।
नोट: इस पूरे घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी बाद में।
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