किरण रांका रिपोर्टर

*हिन्दी दिवस पर नई पीढ़ी को हिन्दी से जोड़ने का साहित्य शिल्पियों नें लिया संकल्प*।।
वर्तमान में हमने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया लेकिन विडंबना यह है कि आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् भी हम हिन्दी को वो स्थान नहीं दिला पाये हैं जो आज होना चाहिये था बल्कि नई पीढ़ी अपभ्रंश हिन्दी का प्रयोग करते हुये हिन्दी की मिठास को समाप्त कर रही है और आज यह स्थिति है कि हिन्दी को अनपढ़ की भाषा तक का दर्जा दे दिया जाता हैं, उच्च शिक्षित व्यक्ति समूह में अंग्रेजी बोलने को ही अपनी शान समझते हैं। कई प्रसिद्ध यू-ट्यूबर द्वारा हिन्दी में गाली-गलौच के वीडियो बनाकर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त की जा रही है जिससे हिन्दी की गरिमा को हानि पहुंच रही है। हमारे मन में सब भाषाओ के लिये सम्मान है और वैश्वीकरण के इस परिदृश्य में अन्य भाषाओं का ज्ञान भी आवश्यक है। लेकिन जिस मातृभाषा से हमारी संस्कृति, हमारी विचारधारा, हमारी जड़े जुड़ी है उसे विनाश की ओर ले जाना स्वयं अपनी जड़ो को काटने के समान है।
उक्त विचार नगर के प्रबुद्ध साहित्यकारो की संस्था साहित्य शिल्पी के सदस्यो द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित विचार संगोष्ठी में व्यक्त किये गये। संगोष्ठी का आयोजन संस्था के संस्थापक सदस्य कवि अतुल जैन सुराणा द्वारा एम.टेक. कम्प्यूटर के सभागृह में किया गया था। संगोष्ठी में अजमतउल्लाह, दिलीप संचेती, श्रीराम श्रीवादी, लखन श्रीवादी, गोविन्द शर्मा, आदित्य गुप्ता हरि, जुगल किशोर पवार, डॉ. कैलाश शर्मा, डॉ. प्रशांत जामलिया एवं अतुल जैन सुराणा ने अपने विचार व्यक्त करते हुये संकल्प लिया कि हिन्दी के प्रति नई पीढ़ी में लगाव पैदा करके हिन्दी साहित्य के माध्यम द्वारा हिन्दी से जोड़ने का हर संभव प्रयास किया जायेगा साथ ही शासकीय कार्यालयों के कामकाज में भी हिन्दी को प्राथमिकता दी जाये, इस संबंध में भी ज्ञापन देकर संबंधित अधिकारियो तक अपनी बात को पहुंचाया जायेगा एवं सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से ऐसे व्यक्तियों का बहिष्कार किया जायेगा जो अपनी पोस्ट या वीडियो के माध्यम से हिन्दी की गरिमा को ठेस पहुचा रहे हैं।
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