*बाबा ठाकुर की व्यक्तिगत रूचि से जिंदा है तामिया मे फुटबाल का खेल
ना रैफरी ना कोच यहा हर खिलाडी बिना विवाद स्व अनुशासन मे खेलता है*
तामिया – ना रैफरी ना कोच यहा हर वर्ग धर्म समाज का खिलाडी स्व अनुशासन मे खेलता है यहा कभी कोई विवाद नही होता ये नजारा है तामिया के उत्कृष्ट खेल मैदान का| जहा सरकारी संस्था या प्रयासो से अलग हर दिन अलसुबह तामिया के प्रबुद्ध नागरिक और वरिष्ठ पत्रकार बाबा ठाकुर के निजी प्रयासो से खेल की महत्वपूर्ण विधा बीते बीस सालो से सतत जारी है | कोरोना काल मे लाकडाउन के बाद जहा स्कूली गतिविधिया खेलकूद सब बंद हो गये वही तामिया के उत्कृष्ट खेल मैदान मे हर सुबह स्वेच्छा और अनुशासन से खेलने वालो की कोई कमी नही है, कोई किसी सुबह नही जगाता सब निश्चित समय पर मैदान मे पहुंचते है | परिक्षायो के मौसम में इन दिनो एकमात्र खेल बास्केटबाल का अभ्यास भी लगभग बंद सा है | तामिया का खेल परिसर कभी हाकी फुटबाल जैसे खेलो के लिये जाना जाता था ये खेल विधा शालेय खेलकूद की सूची से एक दशक पहले से से ही बंद हो गई है | तामिया में जागरूक वरिष्ठ नागरिक बाबा ठाकुर बीते बीस सालो से स्थानीय हर वर्ग धर्म समाज के बच्चो को खासकर फुटबाल के खेल से जोडे हुये है | शारिरिक श्रम के इस अहम खेल में स्थानीय बच्चो को खेल से जोडने के बाद आज बीस सालो मे कई प्रतिभाशाली युवा बेहतरीन खिलाडी बन ये भी दुर्भाग्य कि उन्हे अन्य किसी मंच पर मौका नही मिला | तामिया मे बिना किसी सरकारी प्रयासो या राजनितिक सहायता के आज भी ये खेल सतत जारी है | बाबा ठाकुर बीते 20 सालो से आसपास के बच्चो को फुटबाल खेलकूद से जोडे हुये है इन बीस सालो मे उनकी दिनचर्या या खेल के प्रति समर्पण कभी कम नही हुआ | बाबा ठाकुर बताते है कि आज भी हम चंदा करके फुटबाल लाते है उसका मुख्य कारण यह है कि फुटबाल पर सभी का सामान अधिकार महसूस हो सब उसे अपनी समझ कर खेले उन्होने बताया कि बचपन से खेलने वाले खिलाडी आज युवा हो गये उनमे काली कहार, छुट्टा अहिरवार, नीलेश डेहरिया, दुर्गा डेहरिया, महेंद्र डेहरिया, पवन कहार ,मोंटू कहार धीरज राय टावर,सचिन कहार, निखिल कहार, मोहसीन शेखू,दिनेश कहार सोनू मोनू सोनी जैसे कई युवा शामिल है | वही कही जाने के पहले श्री ठाकुर फुटबाल हवा का पम्प किसी अन्य खिलाडी को सौंप जाते है समय की प्रतिबद्धता भी इतनी कि अलसुबह साडे 6:30 से 7:30 बजे तक खेल पूरा हो जाता है खेल समाप्ति का सिग्नल लास्ट आउट से होता है |वही सबसे मजेदार यह कि कि इसी ग्राउंड मे युवा क्रिकेट भी साथ ही खलेते है अलसुबह फुटबाल खेलने के बाद कई खिलाडी उसमे पहुंच जाते है | बीते सालो से फुटबाल को जिंदा रखने में सालो से सक्रिय बाबा ठाकुर बताते है कि नई पीढी के युवा विश्व का प्रसिद्ध फुटबाल खेल है उससे जुडे रहे खेल शारिरिक एंव मानसिक विकासके लिये आवश्यक है मोबाइल कम्प्युटर मे लगे बच्चो को खेल के माध्यम से ग्राउंड मे कई दोस्त बढते है | बाबा ठाकुर के इस प्रयासो मे उनके निकट साथी ओमप्रकास सोनी बिटुया हमेशा जुटे रहते है | युवा मे बढती नशाखोरी और तामिया में गांजे से बर्बाद हो रही युवा पीढी से दुखी श्री ठाकुर बताते है कि क्रिकेट की तरह इस खेल को लेकर कभी किसी पार्टी या नेता ने कोई किट या कोई प्रतियोगिता कराने कोई सहयोग नही किया ये बहुत खेद का विषय है तामिया में सरकारी संस्थायो से अलग इस खेल मे हर वर्ग समाज के गरीब बच्चे नही दिया है | तामिया मे फुटबाल खिलाडी यो को मौकामिले तो निश्चित ही अपनी प्रतिभा दिखा सकते है |
तामिया से आकाश मंडराह की रिपोर्ट
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