ब्रजेश पाटिल की रिपोर्ट
सिराली ग्राम पीपल्या मे जयेश द्वारा रावण दहन को लेकर जताया विरोध
कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ग्राम पिपल्या पहुंचे जहा शांति समिति की बैठक हुई
सिराली तहसील के समीपस्थ ग्राम पीपल्या मे पिछले वर्ष भी रावण दहन को लेकर विरोध और विवाद ग्रामीणों एवं जयेश के बीच हुआ था, जिस कारण अन्य ग्रामीणों द्वारा देवी जी का विसर्जन भी रोक दिया गया था, प्रशासन द्वारा समझाइश के बाद ही देवी जी की प्रतिमा का विसर्जन हो पाया था। ऐसा ही कूछ मामला इस बार भी देखने को मिल रहा है, जहाँ ग्रामीणों एवं जयेश के बीच अभी भी उन्ही बातों को लेकर एक दूसरे का बिरोध किया जा रहा है, दोनो ही पक्ष समझने को तैयार नही है। जहां एक और मान्यता है कि असत्य पर सत्य कि जीत को दर्शाने एवं बुराई के अंत को दर्शाने के लिए हिन्दु धर्म मे सालों से रावण दहन किया जा रहा है जो कि पूरे भारत मे होता है। वही जयेश का कहना है यह हमारे भगवान है इनके दहन से हमारी आस्था को ठेस पहुँचती है, तो इस कारण ग्राम पिपल्या में रावण दहन नही होने दिया जायेगा। इसी बात को लेकर आज ग्रामवासियो एवं जयेश को समझाने एवं शांति समिति की बैठक के लिए कलेक्टर ऋषि गर्ग, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों सहित ग्राम पीपल्या पहुचे एवं ग्रामीणों को समझाने का प्रयत्न किया परन्तु जयेश कि जिद है, वह रावण दहन होने नही देंगे और अन्य ग्रामीणों का कहना है कि रावण दहन हमेशा से हर जगह होता आया है, यदि प्रशासन पूर्ण से प्रतिबन्ध लगा देगा तो हम भी दहन नही करेंगे अन्यथा सभी जगह होगा तो हम भी रावण दहन करेंगे। इस दौरान कलेक्टर ऋषि गर्ग,पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल,अनुविभागीय अधिकारी एम.के.बमन्हा, सिराली तहसीलदार भरत अहीरवार एवं सिराली थाना प्रभारी मदन पवार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
क्या है मामला
ग्राम पीपल्या में पिछले वर्ष दशहरा उत्सव के दिन दूसरे पक्ष से जुड़े गांव के ही कुछ लोगों ने रावण दहन करने को लेकर आपत्ति ली थी। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दूसरे पक्ष से जुड़े लोगों ने रावण दहन करने जा रहे ग्रामीणों के साथ झूमाझटकी की थी। प्रशासन की समझाइश के बाद भी कुछ लोग रावण के पुतले को उठाकर ले जाने लगे थे। पिछले वर्ष की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार दूसरे पक्ष से जुड़े लोगों व दशहरा उत्सव समिति पदाधिकारियों सहित ग्रामीणों की मौजूदगी में शांति समिति की बैठक ली।
-: इस तरह के विरोध से हम हमारी परम्परा बंद नही करेंगे कुछ हिन्दु विरोधियो द्वारा आपस मे फूट डालने के लिए इस तरह से आदिवासी भाईयों को भड़का कर इस तरह से विरोध करवा रहे है, पिछले कई वर्षों से हम ग्रामीण हिल मिलकर रावण दहन करते आ रहे हैं, और हमारी परंपराओं को जीवित रखना चाहते हैं, अगर रावण दहन नही करते है तो इससे ग्रामीणों कि ही नही बल्कि भारत के अखंड हिन्दु धर्म कि हार मानी जायेगी और धर्म की आस्थाओ को ठेस पहुंचेगी। हम यही चाहते हैं कि सभी त्योहारों में शांति व्यवस्था वनाये रखे
हरिश गंगराड़े ग्रामवासी पीपल्या
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