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June 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

सावरकर जी वीर थे, वीर है और स्वातंत्र वीर ही कहलायेंगे, उन्हें राहुल गांधी और उनके चाटुकारों के प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस

शेख़ आसिफ़ रिपोर्टर

खंडवा/बुरहानपुर। सावरकर जी स्वातंत्र वीर थे, वीर है और वीर ही कहलायेंगे। उन्हें राहुल गांधी और उनके चाटुकारों के प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं है। राहुल बाबा ‘इतिहास को समझो, पढ़ो और महसूस करो, इनके विचारों का चरणामृत लो। बलिदानियों का मान करों, सम्मान करों, प्रणाम करों, असंख्य भारतवासियों का दिल तोड़ने से कैसे जुड़ेगा भारत।‘ राहुल जी आपकी पार्टी के लोग ही आपके भाषणों का अनुवाद करने से डरते है। हाल ही में गुजरात का उदाहरण हमने देखा। पहले भारत को जानिए फिर भाषण दीजिए। देश का अपमान करना बंद करो। हमारा अपना देश कभी अन्याय करने वाला हिन्दुस्तान नहीं हो सकता। आपका ग्राम बोदरली मध्यप्रदेश प्रवेश पर दिया गया वक्तव्य देश को बदनाम करने वाला और देश विरोधियों को बल प्रदान करने की मुहिम का हिस्सा है। राहुल बाबा आपकी कांग्रेस द्वारा 2018 में 10 दिन के अंदर किसानों का कर्जमाफी का छलावा 15 माह में भी पूरा नहीं करवा पाए। किस मुंह से आप मध्यप्रदेश की जनता के बीच आए है। आपने युवाओं को 4 हजार रूपए प्रतिमाह देने की बात कही थी। किन्तु एक भी युवा को यह भत्ता नहीं मिला।
उक्त बात भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने खंडवा में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान सांसद ज्ञानेष्वर पाटिल, विधायक देवेन्द्र वर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल, खंडवा महापौर श्रीमती अमृता अमर यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कंचन तनवे, बुरहानपुर महापौर श्रीमती माधुरी अतुल पटेल, अरूणसिंह मुन्ना, सूरजपाल सोलंकी, अषोक मिश्रा, अमर यादव, सुनिल जैन, मंगलेष तोमर, भरत पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि व पार्टी पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि वीर सावरकर जी ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नहीं ली। इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का प्रमाण पत्र कभी नहीं दिया गया। श्रीमती चिटनिस ने आगे कहा कि वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और 80 मील तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे। इस ‘अमर छलांग‘ को मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने स्मरणीय बनाने हेतु प्रतिवर्ष 102 विद्यार्थियों का चयन कर इन बच्चों को उनके यातना स्थल तक ले जाकर स्वतंत्रता हेतु क्रांतिकारियों की यादों को ताजा बनाने का प्रयास किया। सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नहीं मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया। वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी। सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले, “चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया”।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि वीर सावरकर पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा 1857 का गदर कहे जाने वाले संघर्ष को ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक ग्रन्थ लिखकर इसे स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष सिद्ध कर दिया था। वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ..! वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखीं और 6000 पंक्तियाँ याद रखी..!
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र का अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा हुई और आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला। वीर सावरकर ऐसे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी कपड़ों को जलाया, तब बालगंगाधर तिलक ने अपने पत्र ‘‘केसरी‘‘ में उनको शिवाजी के समान बताकर सावरकर की प्रशंसा की थी। सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस घटना के 16 साल बाद महात्मा गांधी ने 11 जुलाई 1921 को उनके मार्ग पर चलते हुए मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया था। सावरकर जी को 7 अक्टूबर 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्गयुसन कॉलेज से निकाल दिया गया था। जिस पर तिलक जी ने केसरी पत्र सावरकर जी के पक्ष में संपादकीय लिखा था। ऐसे राष्ट्रभक्त के विरूद्ध कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अपमानित करने का कृत्य निंदनीय और कभी माफ नहीं किए जाने वाली हरकत है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि राहुल जी आपको एक बार सावरकर जी के बारे में अपने पूर्वजों श्रीमती इंदिरा गांधी सहित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विचारों को पढ़कर बोलना चाहिए। आपके पूर्वज उनकी महानता से परिचित रहे। इसीलिए तो इंदिरा गांधी ने भी सारवरकर जी की प्रशंसा की। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि ‘‘सागर भर के सावरकर के पाँव नही धो सकते हैं, भारत माँ की गोद में न सावरकर से सो सकते है। सावरकर के बलिदान पर कीचड़ फेंकने वाले तो, सात जन्म तक तपकर भी न सावरकर हो सकते हैं।‘‘