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Dharmendra Singh

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October 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

देश की प्रथम रक्षा पंक्ति कहे जाने वाला सीमा सुरक्षा बल मानाने जा रहा है अपना 58वां स्थापना दिवस जानिए किस दिन हुई थी बल की स्थापना और देश हित में बल का योगदान।


ग्वालियर:- 01 दिसम्बर 2022 को सीमा सुरक्षा बल अपना 58वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। स्वतन्त्रता के पश्चात देश की सीमाओं की देखरेख राज्य सशस्त्र बलों द्वारा होती थी। 1962 के भारत-चीन युद्ध और तत्पश्चात कच्छ में पाकिस्तान की दखलंदाजी के बाद बदली हुई परिस्थितियों में बल की स्थापना 1 दिसम्बर 1965 को प्रथम महानिदेशक के. एफ. रूस्तमजी,आई पी (पदम् भूषण) के नेतृत्व में की गयी। प्रारंभ में बल की स्थापना, पाकिस्तान से लगती सीमाओं की निगरानी के लिए की गई थी।

वही पर शुरूआत में सीमा सुरक्षा बल का गठन 25 बटालियनों के साथ किया गया था, जिसमें मुख्यतः विभिन्न राज्यों की सशस्त्र पुलिस बल स्वेच्छा से शामिल हुए थे। समय के साथ बल का काफी विस्तार हुआ है और आज इस बल की जनशक्ति 192 बटालियन तक पहुंच चुकी है। 7419.7 किमी. लम्बी पाकिस्तान और बाग्लादेश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की महती जिम्मेवारी इसके पास है। उत्तर की दुर्गम गगनचुम्बी हिमाच्छादित पहाड़ियों की हाड़ कंपाती ठंड, थार रेगिस्तान की ‘चिलचिलाती धूप, पूर्वांचल की विषम परिस्थितियों व कच्छ की सपाट दलदली जमीन, सभी जगहों पर सीमा सुरक्षा बल के जवान दिन-रात विषम परिस्थितियों का पूरी जीवट के साथ सामना कर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को सर्वदा तत्पर खड़े है। आज बल के पास खुद का तोपखाना, जल शाखा तथा वायु शाखा है, और विश्व में अपने प्रकार का इकलौता सीमा सुरक्षा बल है।

बतादे की बल के अपने 58 साल के गौरवमयी इतिहास में सीमा सुरक्षा बल की कई उपलबधियों खास रही हैं। सीमाओं की सुरक्षा और सीमावर्ती निवासियों में विश्वास की भावना पैदा करना इस सोच के साथ बल का गठन किया गया था और इतिहास गवाह है कि बल ने अपने मूलभूत कसौटियों पर अपेक्षाओं से ज्यादा अपने आपको सर्वदा प्रमाणित किया है। अपने शैशवकाल में ही 1971 के युद्ध के दौरान सीमा सुरक्षा बल के योगदान को कोई भूल नहीं सकता । खुद तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्त कंठ से बल के योगदान और जवानों के बलिदान की प्रशंसा की थी और देश की प्रथम रक्षापंक्ति कहकर संबोधित किया था। सीमा सुरक्षा बल ने 1971 में भारत-पाक युद्ध में सक्रिय हिस्सा लिया और 339 अलंकरण एंव वीरता मेडल प्राप्त किए। सन् 1999 में ‘ऑप्स विजय’ फिर ‘ऑप्स पराक्रम’ जैसी कठिन परिस्थितियों में सीमा सुरक्षा बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरहदों पर मोर्चा सम्भाले रखा। विगत वर्षो में पूर्वाचल में अलगाववाद,पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद और वर्तमान में वामपंथी अतिवाद को नियंत्रित करने के संघर्ष में सीमा सुरक्षा बल के योगदान का देश साक्षी रहा है। और अपनी उपलब्धियों से इसने देश का मान बढ़ाया है।

इसके अलावा जब कभी देश को बल की सेवाओं की जरूरत महसूस हुई है, इसने अपनी उत्कृष्ठ सांगठनिक कार्यक्षमता और जवानों के अप्रतिम जीवट और साहस की बदौलत सर्वदा अपेक्षाओं पर खरे उतरने और कम समय में अपनी एक विशिष्ट और विश्वशनीय पहचान बनाने में सफल रहा है। सीमा प्रबंधन के अलावा बल ने आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी तथा आपदा प्रबंधन में भी अपना अहम योगदान दिया है।

सीमा सुरक्षा बल आज सीमाओं की सुरक्षा से लेकर काउंटर इन्सरजेन्सी, आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी तथा नक्सल विरोधी अभियान में अपना अहम योगदान दे रही है। पूरी दुनिया के सबसे बड़े बॉर्डर गार्डिंग फोर्स का खिताब हासिल करने वाला यह बल, अपने उत्कृष्ट सीमा प्रबंधन के लिए विश्व विख्यात है। देश की सुरक्षा की महती जिम्मेवारी बल के पास है और देशहित को सर्वोपरि रखते हुए देश की सुरक्षा एवं विकास में बल के सभी कार्मिक अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें रहे है।

वही 1 दिसंबर सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस पर बल देशवासियों को यह भरोसा देना चाहता हैं कि देश की सीमाओं की रक्षा को किसी भी हालत में सुरक्षित रखने का जो जिम्मा सीमा सुरक्षा बल को दिया गया है उसे बल हर परिस्थितियों में पूरा करेगा।

तो वही पर जानकारी देते हुए अतुल यादव द्वितीय कमान अधिकारी सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर ने यह भी बताया है की इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुर में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर अकादमी के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया जाएगा जिसमें मुख्य अतिथि जे एस ओबेरॉय, वी एस एम, महानिरीक्षक/संयुक्त निदेशक, सीमा सुरक्षा बल, अकादमी टेकनपुर होंगे और अकादमी में पदस्थ अधिकारीगण व अन्य कार्मिक परिवार सहित कार्यक्रम में भाग लेंगे।