पंकज राधेश्याम दुबे रिपोर्टर

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सरपंचों को मिलने वाला मानदेय 1750 से बढ़ाकर 4250 कर दिया गया है. सीएम ने बुधवार को इसका एलान किया है.
Bhopal News: मुख्यमंत्री शिवराज ने किया सरपंचों का बढ़ाया मानदेय, अब 1,750 के बदले मिलेगा 4,250 रुपये
MP News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जहां पिछले कुछ समय से बदले हुए और सख्त नजर आ रहे हैं, वहीं प्रदेश के सरपंचों के लिए उन्हें रहमदिली दिखाते हुए उनको मिलने वाले मानदेय में बड़ोतरी की घोषणा की है. दरअसल, प्रदेश में चार महीने पहले सरपंच चुने गए ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों का भोपाल के जम्बूरी मैदान पर बड़ा सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमे शरीक होने पहुंचे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मेलन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों के साथ ही रूरल डेवलपमेंट यानी पंचायत के विकास की प्लानिंग को लेकर प्रशिक्षण दिया गया.
क्या कहा सीएम ने?
सीएम ने सरपंचों को गांवों के विकास के लिए चल रही केंद्र और सरकार की योजनाओं की प्लानिंग और क्रियान्वयन के गुर सिखाते हुए दिखाई दिए. उन्होंने मंच से ही घोषणा करते हुए सरपंचों का मानदेय बढ़ा दिया है. जिससे अब सरपंचों को मानदेय 4,250 रुपए प्रतिमाह देने की बात कही गई है. वहीं सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई व्यवस्था सबसे ऊपर होती है. सीएम ने एसीएस सहित सभी अधिकारियों को साफ कहा कि काम होगा तो जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की मर्जी के अनुसार ही होगा. ऐसे काम करे की पांच साल का सरपंचों का कार्यकाल यशस्वी हो और जनता के सपने पूरे कर पाएं. इसलिए पंचायती राज में जो अधिकार आपके हाथ में दिए गए हैं उन्हें किसी और के हाथ में नहीं जाने दिया जाएगा. चुने हुए प्रतिनिधियों और उनके अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को निर्देश दे रहा हूं तालमेल बनाकर काम करें.
‘जनता से न रखें कटुता का भाव’ : शिवराज
मुख्यमंत्री ने सरपंचों से यह भी कहा कि आप चुने हुए सरपंच हैं. कुछ पंचायतें निर्विरोध चुनी गई. समरस पंचायतों को बधाई देता हूं. चुनाव के बाद सबको एक भाव देखें. जिन्होंने वोट नहीं दिया उनका भी दिल जीत लो मन में कटुता का भाव न रखें. लोगों से मिलने का समय तय करें. पंचायती राज के जो नियम प्रक्रिया और अधिकार हैं. उन्हें आप लोग ढंग से पढ़ लें मैं एसीएस को निर्देश दे रहा हूं कि हर पंचायत में अधिकारों की गाइडलाइन बनाकर भेजें. नहीं तो ऐसा होता है कि सरपंच कोई और है और पंचायत कोई और चला रहा है.बिना पढ़े कोई भी प्रस्ताव पर दस्तखत मत करना. बाद में जब जांच होती है तो सरपंच साहब कहते है कि हमसे दस्तखत करा लिए गए ब्लॉक स्तर पर अधिकार, कर्तव्यों और नियमों की ट्रेनिंग दी जाए. हमे पात्र हितग्राहियों को उनके अधिकार देना है. जब हम समीक्षा करते हैं तो सब अच्छा-अच्छा ही बताया जाता है, लेकिन सच बात आपको पता होती है. इशारों में यह भी बता दिया की मैं औचक निरीक्षण कर रहा हूं.
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