लोकेशन – आष्टा
तप हमे आत्मबल प्रदान करता है ।* *कैलाश परमार*
*पीयूष देशलहरा की 11 उपवास की तपस्या पर किया बहुमान*
साधु संघ की निरन्तर प्रेरणा और सानिध्य का ही परिणाम है कि बीते वर्षों में जैन समुदाय के युवक युवतियों एवं बच्चों में भी कठोर तप और उपवास धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है । उपवास का अर्थ है हम जहां जिस अवस्था मे हैं उससे अलग वास करना उपवास सिर्फ अन्न जल त्याग से ही नही होता इस तप में हमारे ध्यान विचार और मानस को भी आत्मोन्मुख किया जाता है । ऐसी ही तपश्चर्या में लीन रहे श्वेतांबर जैन समाज के युवा एवं धर्मनिष्ठ श्रावक पीयूष देशलहरा के 11 उपवास की कठिन तपस्या पुर्ण हुई । इन 11 दिनों में उन्होंने अन्न एवं सभी प्रकार के आहार का त्याग कर निर्धारित समय पर सिर्फ गर्म पानी ग्रहण किया । पर्युषण पर्व में सभी जैन धर्मावलम्बी तप एवं धर्म आराधना करते है , पीयूष देशलहरा ने पर्युषण के पूर्व ही अपनी आत्म संकल्पित तपस्या प्रारंभ की जो कि संवत्सरी पर्व के दिन पूर्ण हुई । इसके पूर्व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सोनम ने 8 उपवास और बेटी समृद्धि ने 3 उपवास की तपस्या की ।
तपस्या पूर्ण होने पर पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ,प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति , युवा समाजसेवी एवं पूर्व पार्षद नरेंद्र कुशवाहा श्वेतांबर जैन श्री संघ के महासचिव अभिषेक सुराणा एवं राज परमार ने देशलहरा निवास पहुँच कर उनका अभिनंदन किया एवं उनकी सुखसाता ( कुशलक्षेम ) पूछी । तपस्वी पीयूष देशलहरा ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि तपस्या के दौरान उन्हें अनूठे आत्मबल की अनुभूति हुई यह दिव्य अनुभव सदमार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है । पीयूष देशलहरा ग्राम सिद्दीक़गंज के सुप्रसिद्ध समाजसेवी स्व. संतोष जी देशलहरा के ज्येष्ठ पुत्र है । ग्राम सिद्दीकगंज में साधु संतों का आहार विहार निरन्तर चलता रहता है । गुरुओं की निश्रा और प्रेरणा से जैनेतर बन्धु भी धर्मकर्म में सहभागिता करते हैं ।
आष्टा से किरन रांका की रिपोर्ट
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