एस डी एम अमरपाटन द्वारा लेख किया गया मैहर गान विगत दिनों काफी सुर्खियां बटोरा लेकिन गान में लिखी गयी कतिपय लाइन लेख को विवादित बनाती जा रही है। मैहर जनपद की जैव विविधता प्रबंधन समिति की सभापति प्रिया प्रभात द्विवेदी ने उक्त लेख को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उक्त गान के प्रसारण के पूर्व मैहर की अमूल्य धरोहरों को जोड़ा जाना चाहिए। श्री द्विवेदी ने कहा कि पूरे गान में मैहर वासियो के प्रमुख आस्था के केंद्र आध्यात्मिक,धार्मिक धरोहरें जिनका लगभग 9 लाख वर्ष पुराना इतिहास है श्रीराम जानकी मंदिर बड़ा अखाड़ा,ओइला आश्रम,गणेश घाटी,कुंजन तलैया,फलाहारी आश्रम,देवतुल्य परम् पूज्य संत श्री रामसखेन्द्र जू महाराज,स्वामी नीलकंठ जी महाराज,स्वामी मुड़िया महाराज जी,स्वामी राम रंगीले शरण जू महाराज,स्वामी षट प्रमोद वन शास्त्री जू महाराज, स्वामी श्री जानकी वल्लभ शरण जू महाराज, स्वामी श्री रिपुदमन शरण जू महाराज सुरों से माई शारदा की साधना करने वाले पद्म विभूषण,पद्म भूषण अलाउद्दीन खा साहेब,प्राचीन बाबड़ी,जलासय,प्राकृतिक सुंदरता को बिखेरने वाले जंगल,अदभुत सौंदर्य,कलाओं को बिखेरता रियासतकालीन किला,प्राचीन समय मे एक रात में निर्मित भगवान भोलेनाथ जी का गोलामठ मंदिर,दर्जनों तालाब से सजा मैहर,आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका का निर्वाह करने वाले सहीद संपत साहू जी, मैहर जिले का गौरव बढ़ाने वाले ऐसे दर्जनों धरोहरों का नाम इस गान में न होने से जन भावनाएं आहत हुई है। बल्कि इसके बदले बरसों पुराने उचेहरा तहसील के एक गांव का नाम परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है
सभापति श्रीमती द्विवेदी ने कहा कि गान में हमारी विरासतों धरोहरों का उल्लेख हो इसके बाद ही इसका प्रसारण हो ।
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