Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
October 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

*Press Note-1 (23-08-2025)*

*’काव्य कथा’ में सुप्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन बांधेंगी समां*

*राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के तत्वावधान में सोमवार, शाम 6ः30 बजे होगा आयोजन*

*नाट्य वृक्ष डांस कलेक्टिव के साथ भरतनाट्यम प्रस्तुतियां देंगी पद्मश्री गीता चंद्रन*

 

*जयपुर, 23 अगस्त।* जयपुर 25 अगस्त 2025 को संगीत, भाव और कथाओं से सराबोर एक खास शाम का साक्षी बनेगा। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन सोमवार को शाम 6ः30 बजे राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के तत्वावधान में आयोजित होने वाले ’काव्य कथा’ में नाट्य वृक्ष डांस कलेक्टिव के साथ भरतनाट्यम प्रस्तुतियां देंगी।

 

राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के मुख्य सभागार में होने वाले इस आयोजन में दर्शक शिव स्तुति, गोविंद वंदना, ओंकारा करिणी, कृष्ण के लिए गाई जाने वाली लोरी के रूप में रामायण की पुनर्कथा, तिलाना एवं वनमाली जैसी बेजोड़ प्रस्तुतियों का आनंद ले सकेंगे।

 

इस प्रस्तुति में गीता चंद्रन के साथ नाट्य वृक्ष डांस कलेक्टिव की नृत्यांगनाएं राधिका कथल, मधुरा भ्रुशुंडी, सौम्यलक्ष्मी नारायणन और यादवी शकदर मेनन मंच पर उतरेंगी। लंबे समय से एक साथ अभ्यास के कारण उनकी सामूहिक लय और गहरी समझ दर्शकों को जीवंत अनुभव कराएगी। प्रस्तुति का तकनीकी निर्देशन राहुल चौहान और वाचन राजीव चंद्रन करेंगे।

 

गीता चंद्रन और नाट्य वृक्ष के लिए काव्य कथा केवल एक नृत्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक अर्पण है, परंपरा की मशाल को आगे बढ़ाने का संकल्प है। यह भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और यह याद दिलाने का प्रयास है कि हमारी प्राचीन दर्शन, मूल्य और सौंदर्यबोध आज भी जीवित हैं, निरंतर विकसित हो रहे हैं और नई पीढ़ियों से संवाद करते हैं।

 

इस नृत्य कार्यक्रम में परंपरा की सुंदरता और आज के समय की ऊर्जा मिलकर दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव गढ़ेंगी। दुनियाभर में नृत्यांगना, गुरु, नृत्य निर्देशक, विदुषी और सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गीता चंद्रन ने भरतनाट्यम की उज्ज्वल परंपरा को आगे बढ़ाने में पांच दशकों से अधिक समय समर्पित किया है। नाट्य वृक्ष के माध्यम से उन्होंने ऐसी शिष्य पीढ़ी तैयार की है जो तकनीकी निपुणता और भावनात्मक गहराई दोनों से सुसज्जित है, जिससे यह नृत्य शैली अपनी जड़ों से जुड़ी रहते हुए भी निरंतर विकसित हो रही है।