श्रीमद भागवत मे आज गजराज मुक्ति व समुद्र मंथन की कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर हुऐ,
मेहगांव- ग्राम डोंडरीरी मैं व्यास गद्धी से बोलते हुऐ पं0 रामगोबिंद शास्त्री ने कहा ,
गजराज ने भगवत नाम मंत्र का जाप किया और ग्राह को मिला मुक्तीपद भगवान की अदुभुत लीला है,
संत भगवत नाम का जप करते हुऐ अपने जीवन का कल्याण करते हुऐ परोपकार भी करते रहते हे ,
संतो चरण पकडने बाले भी परमपद को प्राप्त होते है।
पंडितजी ने कहा कि गजराज को
भी मंत्र का ज्ञान था जो संकट के समय याद करते हुऐ भगवत मंत्र का जाप किया,
व्यास जी कहते हे कि ज्ञान और कर्म कभी नही मरते यह शास्वत सत्य है,
गजराज पूर्व जन्म मे भगवान के मंत्र का जाप करता था उस जप के प्रभाव से संकटकाल मे उसे भगवत नाम याद आया और नाम का जप करने लगा,
ओम भगवते बासुदेवाय नमः।
उसी समय भगवान कमल पुष्प स्वरूप होकर सरोवर मे तैरने लगे,
गज ने कमल पुष्प को सूंड मे लेकर भगवान को समर्पित करते हुऐ प्रार्थना की ,
हे प्रभो भगवान नारायण आपका (घर) निवास जल मे हे और मे आपके घर जल मे दुष्ट ग्राह के व्दारा प्रताड़ित किया जा रहा हूं ग्राह मेरे प्राण लेना चाहता है,
अपने घर मे कभी कोई भी किसी के साथ अनर्थ नही होने देता है प्रभो मेरी रक्षा करो,
गज ने डूबते हुऐ एक शव्द वोला नाथ , जैसे ना…निकला भगवान बासुदेव ने अपने हाथो से गज को ऊपर उठा लिया,
और ग्राह को चक्र के प्रहार से समाप्त कर ग्राह को बैकुण्ठ धाम पहुचा दिया,
भगवान अपने भक्तों को तो तारते हुऐ परमपद प्रदान करते ही हे मगर जो भक्त व संत के पैर पकड लेता है भक्तबत्सल भगवान उसे भी परमपद प्रदान कर देते देते हे।
बोलो भक्तबत्सल भगवान की जय।
कथा बिश्राम समय के बीच परसोत्तम राजौरिया पत्रकार के जैष्ठ भ्राता सहित कथा बाचक पंडितजी बरण सहित परीक्षत भगवती प्रसाद शर्मा को पुषपहार शाँल श्रीफल भेटकर आशीर्वाद लिया।
गिरजेश पचौरी पत्रकार मेहगांव मो.9926264754
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