राहुल राठोर रिपोर्टर
हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव के उपलक्ष में श्री गणेश मंदिर शाखा राजोद द्वारा शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के शुभ दिवस के उपलक्ष में यह उत्सव मनाया गया क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मनाए जाने वाले 6 उत्सवों में से एक है उक्त उत्सव इस दिन शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज के स्थापना के उपलक्ष में मनाया जाता है इसी क्रम में श्री गणेश मंदिर शाखा राजोद में इस उत्सव के प्रमुख वक्ता के रूप में भूपेंद्र राठौर जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख ने बौद्धिक में बताया कि शिवाजी के जन्म से पूर्व भारत की स्थिति सामाजिक परिस्थिति, आठ प्रकार की सल्तनत चल रही थी, भारत के पूर्व- पश्चिम उत्तर दक्षिण कहीं भी हिंदू सुरक्षित नहीं था। सभी नदियों का जल दूषित हो गया था मानव और गौ के रुधिर से। स्त्रियां कहीं भी सुरक्षित नहीं थी । अस्पृश्य कहे जाने वाले समाज को तब भी मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी । कोई भी हिंदू राजा नहीं था। ऐसा नहीं था कि कोई हिंदू साम्राज्य की स्थापना नहीं कर सकता था किन्तु अंतिम हिंदू राजा रामराय को सभी मुस्लिम शक्तियों ने मिलकर समाप्त कर दिया, परिणाम सभी सेनापति, प्रधानमंत्री जो कि हिंदू थे उनके मन में यह धारणा हो गई थी कि हिंदू नौकर हो सकता है, चाकर हो सकता है, परंतु राजा नहीं हो सकता। हम अ शक्ति, क्षमता, गौरवशाली संस्कृति, श्रेष्ठ परंपराओं को, और मां भारती को पूर्णता भूल चुके थे। उदाहरण माता जीजाबाई की तरुण अवस्था की घटना, उसके बाद उनका प्रतिज्ञा लेना कि ऐसे पुत्र को जन्म दूंगी, जो इस स्थिति को बदल देगा । माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले के यहां एक युग प्रवर्तक बालक ने 19 फरवरी 1630 ई. (शके संवत 1551 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया) को शिवनेरी दुर्ग में जन्म लिया जिसका नाम रखा गया शिवा। अपनी माता के संकल्प के अनुसार 6 जून 1674 ईस्वी (ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी) को उन्होंने हिंदू पदपादशाही की स्थापना की। जीवन भर हिंदू गौरव, स्वाभिमान और हिंदू स्वराज के लिए जीने वाली यह महान आत्मा 3 अप्रैल 1680 को परम तत्व में विलीन हो गई।
• बाल संस्कार निर्माण व लालन-पालन रामायण, महाभारत, गीता आदि ग्रंथों में से भीम -अर्जुन, राम- कृष्ण, राजा दिलीप आदि महापुरुषों की गाथा सुनाना जिससे यथोचित गुणों और संस्कार का निर्माण हो सके । उदाहरण-कसाई द्वारा गाए को खींच कर ले जाते समय कसाई के दोनों हाथों को काटना। माता जीजाबाई द्वारा खिलौनों के स्थान पर तलवार, भाला आदि शस्त्र देना जैसा उद्देश्य उसी के अनुसार प्रारंभ में संस्कार द्वारा जीवन दिशा
हिंदू संस्कार स्वाभिमान, निडरता, श्रद्धा, अपने पूर्वजों, देवों, देवियों के प्रति भावों का निर्माण। परिणाम स्वरूप शिवाजी का स्त्री के प्रति सम्मान, कल्याण के सूबेदार की पुत्रवधु को ससम्मान लौटाना आदि
उक्त विषयों के साथ श्री राठौर ने बताया कि इस वर्ष आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं इसी उपलक्ष में संघ अपने आजादी के 75वें स्वराज अमृत महोत्सव को मना रहा है जिसके माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को देशहित के लिए अपने स्व को जगाना होगा।
उन अज्ञात क्रांतिकारियों को याद करें जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति में अपना अमूल्य सहयोग दिया था इसके साथ ही उन्होंने बहुत से आप अप्रचलित क्रांतिकारियों के भी उदाहरण दिए
उक्त बौद्धिक के पश्चात संघ की प्रार्थना हुई एवं कार्यक्रम विधिवत संपन्न हुआ

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